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विदेशी मेहमान पक्षियों का आगमन शुरू

JAMTARA: जामताड़ा जिला से सटा हुआ देवघर जिला अन्तर्गत सारठ प्रखण्ड के सिकटीया गांव में अजय नदी पर बांध बनाया गया है। इस बांध में काफी मात्रा में जल इकठ्ठा होता है जिससे अगल बगल के किसान खेती कर खुश हो रहे हैं। यहीं से अजय बराज कैनाल निकाला गया है जो जामताड़ा जिला के पूरे नाला विधानसभा क्षेत्र के तीनों प्रखण्ड- फतेहपुर, नाला, और कुण्डहित के विभिन्न गांवों से गुजरती है और अन्त में पश्चिमी बंगाल के सीमा में समाप्त हो जाती है।


यहां नदी पर बांध बनाने का उद्देश्य मात्र है कि बांध के पानी से समय समय पर किसान कृषि कार्य में जल उपयोग कर सके। किसानों को इस बांध से कितना लाभ हो रहा है यह तो किसान ही बता सकते हैं। लेकिन इस बांध से विदेशी प्रवासी पक्षियों को अनुकूल आश्रय जरूर मिल रहा है। विदेशी पंक्षिया साईवेरिया से चल कर यहां पहुंचते हैं, जिसे लोग साईवेरियन पंक्षि कहते हैं और विदेशी प्रवासी पक्षी मानते हैं।
स्थानीय निवासी अक्षय कुमार सिंह बताते हैं कि इस प्रकार के साईवेरियन पंक्षि विशेष रूप से जाड़े के मौसम में इस बांध में आने लगते हैं। नवम्बर माह से इन विदेशी मेहमान पक्षियां साईवेरिया से चल कर यहां पहुंचते हैं और यहीं प्रवासी के रूप में फरवरी माह तक रहते हैं।यह समय इन पंक्षियों के लिए अनुकूल समय होता है। फिर जैसे जैसे गर्मी बढ़ने लगता है ये प्रवासी पक्षियां अप्रवासी हो जाते हैं। इन चार महीनों नवम्बर से लेकर फरवरी तक यहां पंक्षियों का काफी गहमागहमी रहता है। यहां स्वदेशी पंक्षियां जैसे- लाल शोर, पनडुब्बी,पानकौआ तथा क्ई अन्य पक्षियों से विदेशी मेहमान पक्षियां घुल-मिल कर साथ रहते हैं। इस समय यहां का माहौल पंक्षियों के कलरव से मन को मोह लेते हैं। इस दृश्य को देखने के लिए यहां शैलानियों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है।यह मनोरम दृश्य और अपार जलसमूह को देख पर्यटकों को आकर्षित करती है।बांध की कल-कल करती जल ध्वनि और पंक्षियों की कलरव से वातावरण अति खुशनुमा हो जाता है। दृश्य और ध्वनि से यहां आने वालों को शान्ति मिलता है।
यहां पिकनिक स्पॉट भी है।लोग यहां पिकनिक मनाने काफी संख्या में आते हैं। विशेष कर साल के पहला जनवरी को पर्यटकों की काफी भीड़ होती है। लोगों को शान्त नीले रंग जल और पंक्षियों की झुण्ड को देख कर काफी शान्ति मिलता है। अक्षय कुमार ने बताया कि इस साल जो लगातार बारिश हुई थी,उस समय बहुत भयानक दृश्य देखने को मिला था। ऐसा लगता था कि बांध को जलसमूह तौड़ डालेगा। बांध के सभी फाटक खोल दिया गया था। फिर भी जल ही जल दिखाई दे रहा था। आज बांध भी ठीक ठाक और सही है तो अपार जलसमूह भी है। आज जलसमूह है तो ये विदेशी प्रवासी पक्षियां साईवेरियन पंक्षि है।