मिहिजाम में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत
ओम प्रकाश शर्मा, जामताड़ा/मिहिजाम। मिहिजाम निवासी विजय कुमार अब परिचय के मोहताज नहीं रहे। पहले यहाँ स्थानीय सहारा प्रमुख से पहचान बनीं, राजनीति से भी जुड़े और अब एमएसएसबी कमर्सियल प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बनाकर नयी मुकाम हासिल किया है। पहले कड़ी में इस कम्पनी के द्वारा जैन फूड्स का लॉन्च किया गया जिसमें आटा, सत्तू, बेसन, हल्दी, जीरा, धनिया, मिर्ची आदि प्रोडक्ट हैं। इसका हालसेल और रीटेल के रूप में विक्रय होगा।
झारखंड तथा आसपास के राज्यों में भी हमारे प्रोडक्ट्स की मांग
मिहिजाम के पाल बागान स्थित बीएम हाउस में कम्पनी के चेयरमेन विजय कुमार एवं कम्पनी के डायरेक्टर ममता जैन ने बताया कि पूरे झारखंड तथा आसपास के राज्यों में भी हमारे प्रोडक्ट्स की मांग सबसे अधिक होगी क्योंकि हमने गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया है। कंपनी के चेयरमैन और डायरेक्टर ममता जैन दोनों स्नातक हैं। उनका कहना है कि भविष्य में और भी प्रोडक्टर कंपनी लांच करेगी। कंपनी के माध्यम ये बड़ी संख्या में बेरोजगारों को रोजगार मिलने की संभावना बतायी जा रही है। विजय और ममता की सफलता को देखते हुए यह कहावत चर्चा का विशय बना हुआ है कि एकअच्छे पुरुष की सफलता के पीछे एक अच्छी महिला का हाथ होता है। लड़कियां, लड़कों से अधिक संवेदनशील होती हैं। वे परिवार, और समाज में अपना बेहतर प्रदर्शन कर पुरुषों के मुकाबले कहीं पीछे नहीं हैं।
कितने सांसद और विद्याायक आये और गये लेकिन मिहिजाम औद्योगिक नगरी की नहीं बदली हालात
हाल कानगोई औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़े कारखानों का
ब्ंद पड़ा कानगोई औद्योगिक क्षेत्र नहीं बना सका कभी चुनावी मुद्दा

ओम प्रकाश शर्मा । पिछले 25 सालों में कितने सांसद और विधायक आये और गये लेकिन मिहिजाम औद्योगिक नगरी की बदहाली की हालत नहीं बदली। कोई भी उम्मीदवार मिहिजाम के कानगोई औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़े दर्जनों कारखानों को खुलवाने के लिए मुद्दा नहीं बना रहे हैं . झारखंड राज्य बनने के बाद आज तक मिहिजाम में किसी भी प्रकार के स्थायी रोजगार का संसाधन यहां उपलब्ध नहीं हो सका है। मिहिजाम में लघू उद्योग लगभग 30सालों से बंद पड़े हैं। इसलिए पढ़े लिखे युवाओं का यहां से पलायन हो रहा है। यहां के मजदूर भी रोजी रोटी की जुगाड़ में बंगाल तथा अन्य बड़े शहरों की ओर रूख करते हैं। एक समय था जब मिहिजाम का कानगोई औद्यागिक क्षेत्र काफी विकसित था। बड़ी संख्या में लोगों की रोजी रोटी यहां से चलती थी। लेकिन अब यहां का अतीत वर्तमान औद्योगिक व्यवस्था से उपेक्षित है। पिछले 25 सालों में सन्नाटा भरे इस क्षेत्र के विकास के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि ने सुध नहीं ली। और न ही यह उद्योग नगरी को चुनावी मुद्दा बनाकर इस क्षेत्र का विकास किया जा सका। बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की यहां किसी भी जनप्रतिनिधि ने गरांटी नहीं ली।
मशीनों की गड़गड़ाहट थी पहचान
एक समय था जब यहां की मशीनों की गति ही इस औद्योगिक नगरी की पहचान थी। लेकिन अब यहां की बिरानी बेरोजगारों को काटने के लिए दौड़ती है। इस औद्योगिक क्षेत्र अब जंगली पेड़ पौधे उग आये हैं। क्षेत्र में राजहंस स्टील कारखाना, बिहार सिलिकेट, चित्तरंजन इलेक्ट्रिक मोटर एंड पंप, राजा ग्लास, मगध ट्यूब प्राइवेट लिमिटेड, मनीष प्लास्टिक, संजीव इंजीनियर, सुशील ग्लास, मिहिजाम मिनिरल ग्राइडिंग, जेके इंडस्ट्रीज, नंदन इंडसट्री, गोल्डन इंडस्ट्री, गीता आमेानिया पेपर एवं चंद्रा इंटरप्राइज प्रमुख लघु एवं बड़े कारखाने थे।क्या कहते हैं लोगज्ञात हो कि युक्त बिहार में 1983 से यह क्षेत्र सरकारी सहयोग से अपनी औद्योगिक यात्रा शुरू की। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्र ने इस क्षेत्र को औद्योगिक नगरी बनाने की घोषणा की थी। लेकिन उनकी घोषणा के बाद फिर किसी ने ध्यान नहीं दिया और उपेक्षा के कारण कारखानों का दरवाजा बंद होता गया।झारखंड राज्य के पार्दुभाव के बाद जगी थी आशा 14 साल पूर्व जब झारखंड बना तो यहां के कारखाना मालिकों तथा बेरोजगार लोगों में आशा जगी कि अब मिहिजाम का कानगोई क्षेत्र से फिर से गुलजार होगा। लेकिन वोट बटोरने के अलावे यहां के सांसद और विद्यायक बंद कारखानों को खुलवाने के लिए कुछ नहीं किया। मालिकों ने की थी पहल जामताड़ा के प्रथम उपायुक्त नितिन मदन कुलकर्णी को मांग पत्र सौंप कर यहां के मालिकों ने मदद के लिए गुहार लगायी थी जिसके बाद उपायुक्त ने झारखंड सरकार से इसे पुनर्जीवित करने की अनुशंसा भी की थी। बात आगे बढ़ी और यहां के उद्यमियों ने तत्कालीक उद्योग मंत्री समरेश सिंह से मिलकर मुख्य सचिव तक फाइलों को पहुँचाया था। फिर जब अजुर्न मुंडा राज्य के मुख्यमंत्री बने तो एकबार फिर से प्रयास तो हुआ लेकिन फिर आखें मुंद ली गई। पुर्व कारखाना मालिकों के अनुसार बीते 25 सालों में प्रत्यक्ष रूप से धरातल पर आकर किसी भी अधिकारी ने इस ओरे ध्यान नहीं दिया। आईएडीए के अधिकारियों का ध्यान इस ओर बार बार दिलाया गया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। उद्योगों का बढ़ावे के लिए सब्सीडी सिर्फ कागजों में दी जाती थी। सब्सीडी पर लाॅन का ब्याज भारी पड़ता था। चित्तरंजन इलेक्टानिक्स कारखाना ने उस समय एक अभूतपूर्व इलेक्ट्रिक मोटर का निर्माण किया था। जिससे पूरे देश में झारखंड की पहचान बन सकती थी लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण यह कारखाना भी बंद हो गया। पुर्नजीवित करने के लिए अगर सरकार पहल करती है तो आज भी हमलोग वहां फिर से कारखाना लगाने के लिए तैयार हैं।
कानगोई औद्योगिक नगरी को विकसित करने की क्यों है आवश्यकता
लोगों का कहना है कि यहां के अधिकांश लोग रोजी रोटी के लिए बंगाल के चिरेका कारखाना, हिंदुस्तान केब्लस लिमिटेड कारखाना पर निर्भर है। रिक्शाचालक, आॅटो चालक ,सब्जी विके्रता, मजदूर, दुकानदारी आदि के माध्यम से लोगों की जीविका यहां चलती है। एचसीएल कारखाने जैसी अगर चिरेका की हालत खराब होती है तो मिहिजाम की हालत और खराब हो जायेगी। मिहिजाम में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय बैंक सिर्फ चिरेका कारखाना को ध्यान में रखकर खोले गये हैं। इसलिए जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे बंद पड़े उद्योगों को पुर्नजीवित करे। छोटे बड़े औद्योगिक घरानों के साथ संपर्क इस नगरी को फिर से गुलजार किया जा सकता हैऔर लॉकडाउन जैसी परिस्थिति से उत्पन्न बेरोजगारी से निपटा जा सकता है।















