चित्तरंजन । चित्तरंजन थाना एवं पश्चिम बर्धमान जिला के डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट द्वारा चितरंजन थाना संलग्न सामुदायिक भवन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चितरंजन थाना प्रभारी अतिंद्र नाथ दत्त ने स्कूली छात्र-छात्राओं तथा तथा उपस्थित अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि बाल विवाह को हर हाल में रोकना है । इससे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक क्षति होती है। उन्होंने मौके पर पोकसो ऐक्ट के बारे में भी जानकारी दी । 18 वर्ष से कम बच्ची के साथ छेड़खानी करने या किसी भी प्रकार के दुष्कर्म करने पर कानूनी उपचार के बारे में सभी छात्र छात्राओं को अवगत कराया गया।मौके पर डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट के कार्तिक मंडल, राजकुमार मिश्रा, प्रसनजीत साहा ने बताया कि बच्चों को पोर्नोग्राफी दिखाना, उनके इच्छा के खिलाफ अंग स्पर्श करना, डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स माध्यम से बच्चे को सब समय नजर रखना आदि यौन उत्पीड़न का प्रकार है। इन सबसे उपचार के लिए तत्काल चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 अथवा शिशु कल्याण समिति के मोबाइल संख्या 90643 24973 पर कॉल करके इससे उपचार मदद ली जा सकती है। एक गैर-परिपक्व उम्र में मां बनना उसकी मृत्यु तक हो सकता है। बच्चे का स्वास्थ्य टूट जाता है और विभिन्न रोग से संक्रमित होते हैं। कम उम्र की माँ का बच्चा कभी शारीरिक परिपक्वता प्राप्त नहीं करता है। बच्चा अच्छी तरह से विकसित नहीं होता है। वह हर समय मानसिक तनाव और बेचैनी से पीड़ित रहती है। बाल विवाह के दौरान शिशु को होने वाली सामाजिक और आर्थिक हानि होती है। बाल विवाह से जनसंख्या बढ़ती है और शिक्षा की दर घटती है। इस प्रकार, वह अनपढ़, अधम, अशक्त और शून्य हो जाता है। बाल विवाह में सहयोग करना दंडनीय अपराध है। इस प्रकार का अपराध जेल या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
बाल विवाह से शारीरिक और मनोवैज्ञानिक क्षति















