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जमुआ पंचायत में मुखिया पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने मांग जोरों पर

BHARATTV.NEWS, CHITRA: कोयलांचल स्थित जमुआ पंचायत में मुखिया पद आरक्षण के पेच में फंसा हुआ है। आरक्षण के से इस पंचायत को बाहर करने के लिए मंगलवार को यहां के वासियों ने प्रदर्शन कर विरोध दर्ज किया।
उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जनजातियों की आबादी अधिक रहने के बावजूद 2009 से अनुसूचित जाति के लिए मुखिया पद आरक्षित कर दिया गया है। जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए मुखिया पद आरक्षित करने की मांग दिन-ब-दिन जोर पकड़ती जा रही है। पंचायत वासियों होपना मरांडी, परेश हांसदा, गुपिन मरांडी, ऑबिसर मुर्मू, शिवधन हेंम्ब्रम, सुनील मुर्मू, राहुल मरांडी, रामधन किस्कू समेत अन्य लोगों का कहना है कि 2009 के पंचायत चुनाव में अनुसूचित जाति पुरुष के लिए मुखिया पद आरक्षित कर दिया गया। 2014 के चुनाव में अनुसूचित जाति महिला के लिए मुखिया पद आरक्षित किया। निकट भविष्य में पंचायत चुनाव इसी तर्ज पर कराने की सरकारी योजना है। जबकि पंचायत नियमावली के अनुसार इसमें बदलाव आना चाहिए था। लेकिन ऐसा हुआ हो सका। यह सबों के समझ के बाहर की बात है। कहना है कि पूरे पंचायत में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या पिछले जनगणना के अनुसार 1138 है। जबकि अनुसूचित जाति की संख्या 931 है। जाहिर है कि संख्या के आधार पर अनुसूचित जनजाति के लिए मुखिया पद आरक्षित किया जाना चाहिए था। हमारी मांग राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व पंचायती राज पदाधिकारी से है कि इस पंचायत में मुखिया पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिया जाए।