BHARATTV.NEWS:#jamtara :पूरी दुनिया में क्या आप जानते हैं की मिहिजाम का नाम क्यों प्रसिद्द है यह जानने के लिए बने रहें इस विडिओ में हमारे साथ। एक समय मिहिजाम बिहार का हिस्सा हुआ करता था फिर बिहार बिभाजन के बाद यह झारखण्ड का हिस्सा बना। इसी मिहिजाम की धरती में बनी सर्पदंश की दवा से विश्व में हजारों लोगों की जान बचायी जा सकी थी। इसका श्रेय डॉ. परेशनाथ बनर्जी को जाता है । उन्होंने 1918 में मिहिजाम में अपना चैरिटेबल होम्योपैथिक क्लिनिक स्थापित किया था और निःशुल्क चिकित्सा देखभाल के माध्यम से लाखों लोगों की सेवा शुरू की ।
इसी क्रम में उन्होंने ‘लेक्सिन’ दवा का आविष्कार किया, जो सर्पदंश की दवा है। इस दवा से लोगों की जान बचायी जाने लगी। दवा के चौंकाने वाले परिणाम के बाद पूरी दुनिया में डॉ. परेशनाथ बनर्जी प्रसिद्ध हो गए। अपने होम्योपैथिक क्लिनिक के माध्यम से उन्होंने हजारों नुस्खे दिए थे। डॉ. परेशनाथ बनर्जी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र डॉ परिमल बनर्जी ने चिकित्सा जारी रखा, जिन्होंने उन्नत होम्योपैथी के विज्ञान की खोज की और उसे बनाया साथ ही अपने व्यापक शोध के माध्यम से होम्योपैथी को एक कला से विज्ञान में परिवर्तित किया। दुनिया भर में कई होम्योपैथों को उनके अधीन प्रशिक्षित किया गया है, जिन्होंने इस उन्नत होम्योपैथी को अपने अभ्यास के आधार के रूप में अपनाया। पिछले ही साल २०२१ में डॉ परिमल बनर्जी की मृत्यु हो गयी इसके बाद उनके पुत्र डॉ. परमेश बनर्जी दुनिया के सबसे पुराने होम्योपैथिक चिकित्सकों के परिवारों में से एक है जो फिलहाल कोलकाता में रहते हैं। डॉ. परमेश बनर्जी पिछले 15 वर्षों से अधिक समय से होम्योपैथी का अभ्यास कर रहे हैं। वह, डॉक्टरों और प्रबंधन टीम के साथ, होम्योपैथी पर आधारित एक संपूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली प्रदान करने के लिए अपने स्वयं के शोध के साथ अपने पिता और दादा के व्यापक शोध को लागू करने में जुटे हैं । होम्योपैथी को दुनिया भर में लाखों लोगों तक पहुंचाने के लिए वह आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं । उन्होंने उन्नत होम्योपैथी को सभी तक पहुंचाने के लिए डॉ. पी. बनर्जी का टेलीमेडिसिन सेंटर भी शुरू किया, जिसमें दुनिया भर के मरीज आते हैं और अब ऐसा लगता है की यह सेवा मिहिजाम में भी जल्द लोगों को मिलने लगेगी। भारत टीवी डॉट न्यूज़ के लिए झारखण्ड से ॐ शर्मा की रिपोर्ट














