Bharat TV News | "The Right Path to Journalism"

"सच वही जो हम दिखाएं"

महिला दिवस विशेष: जिम्मेदारियों के साथ अपने सपनों को साकार कर रही है सरिता यादव

मिहिजाम की अफसर बिटिया अभिलाषा कुमारी शर्मा बिहार में अच्छे प्रशासनिक अधिकारियों में गिनी जाती हैं

आज अभिलाषा सीतामढ़ी की जिला अधिकारी हैं और बिहार में अच्छे प्रशाशनिक अधिकारियों में गिनी जाती हैं

PANKAJ MISHRA/ OM SHARMA: (WWW.BHARATTV.NEWS) : JAMTARA:
संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।जहां एक नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। महिलाओं की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उत्सव के रूप में हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
नारी का सारा जीवन पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में ही बीत जाता है। पहले पिता की छत्रछाया में उसका बचपन बीतता है। पिता के घर में भी उसे घर का कामकाज करना होता है तथा साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखनी होती है। कई महिलाओं का यह क्रम विवाह तक जारी रहता है। 

होमियोपैथी अस्पताल की चिकित्सक सरिता यादव


कई ऐसी महिलाएं हमारे समाज के बीच से ही होती हैं जो अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ साथ अपने सपनों को उड़ने के लिए पंख देती है। मिहिजाम की अफसर बिटिया अभिलाषा कुमारी शर्मा की सफलता सब जानते हैं, आज अभिलाषा सीतामढ़ी की जिला अधिकारी हैं और बिहार में अच्छे प्रशाशनिक अधिकारियों में गिनी जाती हैं।
लेकिन आज बात करेंगे मिहिजाम के राजबाड़ी स्थित होमियोपैथी अस्पताल की चिकित्सक सरिता यादव जो एमओ के पद पर विगत कई वर्षों से निःशुल्क रोगियों की देख रेख के साथ ही दवा तक मुफ्त में दी जाती है। सरिता यादव मिहिजाम होमियोपैथी कॉलेज के अध्यापक नंद यादव की पुत्री है। सरिता बताती है कि कम उम्र में शादी होने के दौरान घर के कामकाज के साथ पढ़ाई-लिखाई की दोहरी जिम्मेदारी निभाना बहुत मुश्किल था। जबकि इस दौरान लड़कों को पढ़ाई-लिखाई के अलावा और कोई काम नहीं रहता है। बचपन से ही सपना था की गाइनो विभाग की डॉक्टर बन महिलाओं को सेवा प्रदान करें। लेकिन शादी के बाद परिवार की जिम्मेदारियों बच्चों की देख रेख में समय बितता चला जा रहा था। मन की आकांक्षाएं दम तोड़ती नज़र आने लगी । कई दोस्तों, रिश्तेदारों ने मनोबल तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ा। लेकिन मन में दृढ़ इच्छाशक्ति,संकल्प लेकर पिता और पति के सामने अपनी इच्छा रखने में कामयाब रही, मैं उन खुस्किमत महिलाओं में रही जिनके सफलता के पीछे पुरुष का योगदान रहा। पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए सरिता ने अथक परिश्रम से अपने सपनों को पंख दिया। जामताड़ा के एक निजी अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ अब गाइनो विभाग में भी योगदान दे रही हैं।
परिवार के साथ साथ अपने सपनों को साकार कर रही सरिता उन महिलाओं के लिए प्रेरक हैं जो शादी के बाद अपने सपनों को चूल्हा चौका में झोंक देती हैं।