लोगों के पूर्वाग्रह को आईना दिखा रहे हैं किन्नर
bharattv.news: मिहिजाम: किसी भी शुभ कार्य में किन्नरों की उपस्थिति को एक शगुन के तौर पर देखा जाता है। बच्चे का जन्म हो या शादी विवाह सभी समारोह में किन्नर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं और नेग भी लेते हैं। किसी के घर में नवजात शिशु के जन्म के बाद उनका घर आंगन खुशियों से भर जाता है। पूरा परिवार खुशियों से झूम जाता है। मगर इनके अलावा किन्नरों का भी एक ऐसा समाज और परिवार है, जो दूसरे के घर आंगन में खुशियां बरसते ही न सिर्फ खुद खुश होता है बल्कि लोगों के आंगन और द्वार पहुँच कर खुशियों में बिन बुलाए सरीख भो होता है। जहां आम तौर पर अपने परिवार के लोग ही किसी पूर्वाग्रह से खुशियों में सरीख नही होने का बहाना ढूंढते हैं या फिर बुलावे या निमंत्रण पर भी नही जाते वहीं किन्नर समाज सदियों से हर जाति मजहब के लोगों को अपने उपस्थिति से आईना भी दिखा रहा है। जो नवजात शिशु के जन्म के आने पर खुश होता है, नवजात को दुआओं की लोरी का आशीर्वाद भी देता है। नवजात शिशुओं के जन्म पर खुशी में बच्चे को गोद में लेकर नाचने गाने की परंपरा राजा महाराजाओं के समय से चली आ रही है। यह परंपरा आज आधुनिकता के दौर में भी जारी है। गांव से लेकर बड़े शहरों में नवजात शिशु के जन्म पर बधाई गीत गाने और नाचने के लिए किन्नरों और भांड भाड़न की टीम पहूंच जाती है। मान्यता के अनुसार नवजात शिशु के जन्म के अवसर पर मिले खुशियों को दोगुना करने एवं आशीर्वाद और आनंद का धन बरसाने के लिए नाचने गाने वालों की टीम पहुंच जाती है। वह शिशु को गोद में लेकर बधाई और आशीर्वाद के गीत गाते और नाचते हैं। साथ में उनकी टीम ढोल और मंजीरे पर सुर मिलाते हैं। फिर यह लोग अपनी परंपरा के अनुसार दुआओं के शब्द और पूजा अर्चना का आशीर्वाद देते हैं। जिससे बच्चा निरोग स्वस्थ और खुशहाल जिंदगी जी सके बदले में नवजात शिशु के घर वाले से नगद पैसे धन कपड़े आदि खुशी स्वरूप मांग करते हैं। घरवाले भी क्षमता के अनुसार इनकी मांगों को पूरा करते है। इस परंपरा का निर्वाह आज भी जारी है। बच्चे के जन्म पर बच्चे के साथ नाचने गाने और आशीर्वाद देने पहुंचे बेला दुलारी किन्नर के शिष्य ममता किन्नर ने बताया कि कई पीढ़ियों से हमलोग बच्चों के जन्म पर परिवार के साथ खुशियां बांटने और दुआ आशीर्वाद देने के लिए घर-घर जाती हैं और बच्चे के खुशहाल जिंदगी की कामना करती है। किन्नरों ने मिलकर ‘जुग जुग जिया तू ललनवा’ सहित अन्य लोरी और बधाई के गीत गाए। इनका क्षेत्र चित्तरंजन, जामताड़ा से लेकर सलानपुर तक के बच्चों का खुशियों में शामिल होना है। इनके साथ टीम में मौजूद रिंकी किन्नर ने बताया कि परिवार के लोग काफी खुश होते हैं, जब उनके बच्चों को वे गोद में लेकर खुशी से नचाते और गाते हैं। आस-पास के गांव और शहर में कई पीढ़ी से ऐसी टीम मौजूद है, जो नव शिशु के जन्म के अवसर पर उनके घर खुशहाली के गीत गाने और खुशी में शामिल होने पहुंच जाते हैं। सोमवार को बिहार के बांका बौंसी के थाना कॉलोनी स्थाई निवासी कमल सिंह के नवजात पोते के जन्म पर इन लोगों की टीम ने चित्तरंजन पहुंचकर बच्चों को दुआएं और बधाइयां दी।














