OM SHARMA,BHARATTV.NEWS, गया, 18 जुलाई 2024: खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही गया जिले में उर्वरक वितरण व्यवस्था को लेकर जिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की। इस बैठक में उर्वरक विक्रेताओं को कई कड़े निर्देश दिए गए, जो किसानों के हितों की रक्षा और उर्वरक वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
प्रमुख निर्देश और निर्णय:
- मूल्य नियंत्रण: सभी विक्रेताओं को सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर ही उर्वरक बेचने का कड़ा निर्देश दिया गया।
- कानूनी कार्रवाई की चेतावनी: अनियमितता पाए जाने पर FCO 1985 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान: गंभीर उल्लंघन की स्थिति में उर्वरक विक्रेताओं के अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) रद्द करने का निर्णय लिया जा सकता है।
- कालाबाजारी पर रोक: POS मशीन में दर्ज स्टॉक और वास्तविक भंडार में अंतर पाए जाने पर कालाबाजारी का मामला दर्ज किया जाएगा।
- रिकॉर्ड मेंटेनेंस: सभी विक्रेताओं को बिक्री पंजी और भंडार पंजी नियमित रूप से अपडेट रखने का आदेश दिया गया।
श्री सिंह ने बैठक में कहा, “खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है। जल्द ही फसल आच्छादन बढ़ने के साथ उर्वरक की मांग में भी वृद्धि होगी। हमारा प्राथमिक लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उर्वरक प्राप्त करने में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों की किसी भी शिकायत को अत्यंत गंभीरता से लिया जाएगा। विभाग द्वारा नियमित अंतराल पर उर्वरक भंडारों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा और POS मशीन/mFMS में दर्ज स्टॉक से इसका मिलान किया जाएगा।
इस महत्वपूर्ण बैठक में जिले के प्रमुख थोक और खुदरा उर्वरक विक्रेता उपस्थित थे। कृषि विभाग के अधिकारियों ने विक्रेताओं की समस्याओं को भी ध्यान से सुना और उनके समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया।
यह पहल गया जिले में कृषि क्षेत्र को मजबूत करने और किसानों के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विभाग के इस सख्त रुख से उर्वरक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ने की उम्मीद है, जिससे अंततः किसानों को लाभ होगा।
कृषि विभाग ने किसानों से भी अपील की है कि वे उर्वरक खरीदते समय सतर्क रहें और किसी भी प्रकार की अनियमितता की सूचना तुरंत विभाग को दें। इस प्रकार की सामूहिक भागीदारी से ही उर्वरक वितरण प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाया जा सकता है। FILE PHOTO













