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ऐसे ही चलता रहा तो चिरेका के आवासों का क्या होगा

CHITTARANJAN: WWW.BHARATTV.NEWS: हजारों आवास जर्जर, देख रेख नही कर बन रहे हैं नए आवास। ठेकेदारी, वीआईपी कल्चर प्रथा से करोड़ो के हो रहे हैं वारे न्यारे। सुरक्षा पर भी उठ रहे हैं सवालिया निशान। लोकेशन, चित्तरंजन, बंगाल झारखंड सीमा, कौन है जिम्मेदार , चिरेका में बर्बाद होता आवास यहाँ लोगो ने एक दौर ये भी देखा था कि जब यहां 18 हज़ार कर्मी थे तो उसके आधे क़वार्टर भी नही थे। तब कर्मियों को क़वार्टर लेने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था। रेंट पर रहना पड़ता था। पास के हिंदुस्तान केबल्स के लोगो ने यह हर्ष देखा कि वहाँ फैक्ट्री बंद होने के बाद आवासों में चोरी और जर्जर हालत सामने आए । लेकिन एक दौर आज का भी लोग देख रहे हैं कि जब चिरेका में तालाबंदी नही है तब भी आवासों का बुरा हाल कई सवाल खड़े कर रहा है। चिरेका में कर्मी 10 हज़ार से भी कम होते जा रहे हैं और करोडों रुपये पानी की तरह खर्च कर क़वार्टर कि संख्या इससे बढ़ती जा रही है।

इसके साथ ही चिरेका से प्राप्त एक आंकड़े के मुताबिक लगभग 1 हज़ार क़वार्टर रख रखाव के अभाव में उसे जर्जर छोड़ दिये गये हैं। उनमें झाड़ जंगल, जंगली जंतुओं, चोर उचक्कों का बसेरा बन गया है। लोग आरोप लगा रहे हैं कि ऐसे आवासों में रेल कर्मी न भी रहे तो भी दूसरे निजी लोगो को आवंटित कर रख रखाव किया जा सकता था। या फिर इन्ही आवासों की मरम्मत कर रुपये बचाये जा सकते थे। लेकिन इन सब के विपरीत ठेकेदारों की प्लानिंग के अनुरूप यहां अनाब शनब कामों के लिए करोड़ो के टेंडर बेफजूल निकले गये और पैसे पानी की तरह बहे। भारत टीवी डॉट न्यूज़ ने जब इसकी पड़ताल शुरू की तो पाया कि ऐसे डैमेज आवासों में पानी और बिजली के कनेक्शन मौजूद हैं, यानी चिरेका की सूची में आज भी ये आवास डैमेज नही है।आरपीएफ के जिम्मे यहां की सुरक्षा व्यवस्था रहने के बाद भी ऐसे आवासों में अपराध बढ़ रहे हैं, खिड़की दरवाजे ओर अन्य उपकरण चुराए जा रहे हैं। पूरे मामले पर सीआरएम सी नेता इन्देर्जीत सिंह ने कहा कि आवासों के बारे भी हमलोगों ने कई दौर का प्लान दिया था लेकिन ठेकेदारी प्रथा,कमीशन खोरी, वीआईपी कल्चर ओर अफ़सरो की तानाशाही के आगे किसी की नही चल रही है। आम लोगो के लिए कानून पर कानून गिनाए जा रहे हैं कानून से अलग भी कानून और नियम बनाये ओर लागू किये जा रहे हैं। लेकिन सुरक्षा कर्मियों ओर अफसरों के लिए यहां अलग कानून प्रतीत हो रहा है। अशोक एवेन्यू को ब्लॉक किये जाने के कारणों को जानने के लिए कई लोगो ने आरटीआई भी फ़ाइल की है लेकिन लोगो को रोड ब्लॉक किये जाने के कारणों का अब भी पता नही चला है। जबकि जानकार बता रहे हैं पालिसी मेकिंग मैनेजमेंट का काम है आरपीएफ या पुलिस पालिसी को इम्प्लीमेंट करने का काम करती है। अशोक एवेन्यू को ब्लॉक किये जाने का मामला चिरेका के इंजीनियरिंग विभाग और एस्टेट विभाग का बताया जा रहा है। जो इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। इस मामले में भी चिरेका प्रवक्ता मनतार सिंह ने कहा कि जानकारी लेकर आगे बतायेंगे। आगे बताया कि क़वार्टर को लेकर पूर्व जीएम ने स्थानीय लोगो को मुहैया कराने के लिए पालिसी बनाई थी उम्मीद है इस पर जल्द काम शुरू होगा ताकि क़वार्टर का भी रख रखाव हो सके। क़वार्टर से खिड़की दरवाजे चोरी के मामले में कहा कि आरपीएफ आईजी से बात कर कार्रवाई की जायेगी।

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