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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर लोगों ने स्वस्थ्य रहने का लिया संकल्प

पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया


जामताड़ा/रूपनारायणपुर। रविवार 21 जून को दुनिया के लगभग 190 देशों ने योग दिवस मनाकर इतिहास रचा। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है।

वहीं आज एतिहासिक सूर्यग्रहण होने के कारण यह दिन और भी महत्वपूर्ण बन गया। नारायणपुर संवाददाता के अनुसार योग प्रशिक्षक बरुण रावानी ने युवाओं को योगा कराया। मौके पर उन्होने कहा कि प्रतिदिन योगा करने से कोई बीमारी आसपास भी नहीं भटकती है और हम स्वस्थ रहते हैं।

मौके पर गुड्डू रावानी, राजीव रावानी, बिशाल रावानी, पंकज रावानी, गोलू रावानी, बिकाश रावानी, बीरेंदर रावानी, प्रकाश राय, बीटू रजक, सुरेंदर रावानी, गणेश रजक आदि मौजूद थे। रूपनारायणपुर में भी जगह जगह लोग अपने घरों में ही योगा कर लोगों को स्वस्थ्य रहने का संदेश दिया।

चक्रासन, अलोम विलोम, कपालभांती प्रणायाम, मुयोरसान, शीर्ष आसान, सूर्य नमस्कार ज्यादातर लोगों ने किया। वहीं चित्तरंजन में भी महिलाओ ने योगा कार्यक्रम में भाग लिया।

विश्व में योगा को कैसे मिला स्थान

पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नें 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है।

मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है।

तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं और इसके बाद ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित भी कर दिया गया। यह सबसे ऐतिहासिक क्षण था क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय में यह पारित किया गया था।