विकास दुबे का एनकाउंटर कैसे हुआ कंधे और कमर में लगीं चार गोलियां

BHARATTV.NEWS,कानपुर। शुक्रवार की सुबह तकरीबन साढ़े छह बजे रहे होंगे। एक गाड़ी अचानक से बारिश के बीच पलट जाती है। इस दुर्घटना में कई पुलिस कर्मियों चोट आती है। विकास मौके का फायदा उठाकर भागने की कोशिश करता है। मौका पाकर एसटीएफ के एक अधिकारी की पिस्टल छीनकर भागने लगता है। जिसके बाद दोनों ओर से फायरिंग शुरू हो जाती है और फिर विकास एनकाउंटर में हमेशा के लिए खत्म हो जाता है। यही है कहानी विकास के एनकाउंटर की। एसटीएफ विकास को कहता है कि हथियार रखकर पुलिस को आत्मसम्र्पण करों लेकिन वह मानता नही है।

क्रॉस फायरिंग में विकास दुबे ढेर हो जाता है। तुरंत ही पुलिस मुठभेड़ के बाद विकास दुबे के शव को कानपुर के हैलट अस्पताल लाती है जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित करते हैं। कंधे और कमर में बताया जाता है कि चार गोलियां लगी हैं। अब विकास के मौत के बाद कई तरह के सवाल उठाये जा रहे हैं। विकास को जिंदा रहना जरूरी था ताकि और अपराधियों का चेहरा सामने आता। लोगों का कहना है कि पुलिस को एन्काउंटर ही करना था तो पहले क्यों नहीं की।
आठ पुलिस कर्मियों की हत्या करने के लिए उसे खुला छोड़ा गया था। विक।स पर कई दर्जन केस दर्ज थे। यूपी में जब अखिलेश सरकार थी तब भी वह अपराधी था और योगी शासन में भी अपराधी रहा। लोगों के मन में सवाल यह उठ रहा कि एक अपराधी बिना किसी राजनैतिक संरक्षण और पुलिसिया मदद के बार बार अपराध कर सकता है यह सोच से परे है। अपराध को संरक्षण देने वाले हमारे सभ्य समाज के शत्रु हैं।

विकास के मददगारों का चेहरा भी सामने लाने के जरूरत अहै अन्यथा एक और विकास तैयार हो रहा होगा और फिर किसी का पुलिसिया बेटा समाज को बचाने के चक्कर में उस गैंगस्टाॅर का शिकार हो जाएगा। प्रतीक्षा कीजिए विकास के एन्कांडटर से संबधित और भी कई खुलासे सामने आने लगे हैं। अभी एक पुलिस का आडियो भी वायरल होने लगा है जिसमें कहा जा रहा है कि उम्मीद है कि विकास दुबे कानपुर नहीं पहंुचे अब इस वीडियों के क्या मायने है और पुलिस पदाधिकारी इस वीडियो में किस संदर्भ में बातें कर रहे हैं। यह जांच का विषय है। चाहे जो हो विकास के अपराध के दिन अब पूरे हो गये थे उसका जिंदा रहना मुश्किल था यह बात विकास को भी समझ में आ गयी थी। ृ













