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"सच वही जो हम दिखाएं"

अगर आपके पास पैरवी नहीं है तो आपके जीवन का कोई मोल नहीं

देश में अब भ्रष्टाचार का मुद्दा गौण हो चुका है

डिजिटल डेस्क, भारतटीवी.न्यूज। बीते कई सालों से ऐसा लगता है कि देशभर में अब भ्रष्टाचार का मुद्दा गौण हो चुका है। राजनीतिक दलों द्वारा उठाये गये भ्रश्टावार के मुद्दे को ही ज्यादातार लोग भ्रष्ट्राचार समझते हैं लेकिन देश में अफसरवादी भ्रष्टाचार का भी बोलबाला है जिसपर ध्यान कम जातर है। राषन कार्ड बनवाने से लेकर चरित्र प्रमाणपत्र तक के लिए लक्ष्मी की मांग होती है। नौकरी के लिए वेरिफिकेशन हो या फिर पासपोर्ट बनवाना हो तो भी वही हाल है। सड़कों पर जगह जगह बड़े वाहनों को पचास, सौ की पत्तियों को थमाकर आराम से पार करते हुए देखा जाता है। ऐसे सैकड़ों उदाहरण है। जिससे आम लोगों को हर दिन दो चार होना पड़ता है। भारतटीवी.न्यूज ने यह ठाना है कि किसी भी स्तर के भ्रष्टाचार के मुद्दे को हम सार्वजनिक करेंगे। कोई भी व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत विचार हमारे ईमेल contact@bharattv.news पर साझा कर सकते हैं। आइये आज हम आपको जामताड़ा जिला के पूर्व डीसी शशि रंजन प्रसाद सिंह द्वारा लिखित उनका विचार आपसे साझा करते हैं। उनके लेख से पता चलता है कि वर्तमान में अभी भी भ्रष्टाचार किस कदर कुंडली मार कर बैठा है।

उन्होने लिखा कि ‘मेरे यहाँ एक आदिवासी लड़की दो तीन माह से काम कर रही है। आज पूछताछ किया तो पता चला कि वह अनाथ है। एक बहन और है उसकी। राशन कार्ड भी नहीं है। मैंने राशनिंग अफसर से बात की तो बोले कि बन जायेगा राशन कार्ड। वह लड़की डोरंडा कॉलेज में पढ़ती भी है। उसने बताया कि स्टाइपेंड का 6 हजार कॉलेज में है। नहीं दे रहा है। खतियान मांगता है। तब मैंने गूगल से खोज कर प्रिंसिपल से बात की। उन्होंने कहा कि खतियान की जरूरत नहीं है। एक छोटा उदाहरण और सरकार की कुव्यवस्था। उसपर 20 लाख करोड़ का पैकेज। पागलों का देश ? आदिवासी लड़कियाँ और महिलाएँ अदभुत होती हैं। यूरोपीय लोगों की तरह अनुशासित,विनम्र और कर्मठ। उनका कोई जोड़ नहीं है।‘ उन्होने आगे लिखा-‘ अगर आपको पैरवी नहीं है तो आपके जीवन का कोई मोल नहीं। जो भी देशभक्त हैं, किसी आफिस में काम पड़ जाये तो उनकी देशभक्ति गुम हो जाती है सामान्यतः। हम लोग इस तरह के हालात के लिये अभ्यस्त हैं। सिर्फ भ्रस्टाचार ही नहीं, सरकारी बाबुओं की सोंच और सिस्टम की कमी इसके लिये जवाबदेह है।‘

राजेश मिश्रा ने फेसबुक पर इस लेख पर टिपण्णी कर कहा ” न जाने ऐसे कितने पीडी़त पीडी़तायें होंगी जिनकी सादगी का नाजायज फायदा सिस्टम भ्रष्टाचार के रुप मे उठाता रहता है । आपका कार्य/प्रयास को सलाम”