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WAP 7 हाई स्पीड लोको को 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की मिली हरी झंडी

चिरेका निर्मित WAP 7 विद्युत रेलइंजन के निर्माण को 20 वर्ष पूरे


चित्तरंजन, 10 मई चिरेका के लिए विद्युत लोको निर्माण का स्वर्णिम और गौरवशाली दिवस है. रेल इंजनों का रिकार्ड उत्पादन कर अभी हाल ही में लिम्का बुक में नाम दर्ज करा चुका रेलइंजन कारखाना, चितरंजन द्वारा ठीक आज ही के दिन 20 वर्ष पूर्व पहला विद्युत संचालित " नव किरण " WAP 7 (6000 अश्व शक्ति क्षमता वाला) रेल इंजन को 10 मई 2000 को चिरेका से रवाना किया गया था, जो भारतीय रेल के लिए लोको निर्माण के क्षेत्र में काफी उत्साहजनक प्रदर्शन रहा है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन टेक्नोलॉजी में बदलाव के साथ दुनिया भर में, जीटीओ आधारित तकनीक, जिसे शुरू में इस्तेमाल किया गया था, बाद में बदल दिया गया और नवीनतम आईजीबीटी आधारित कनवर्टर प्रौद्योगिकी में अपग्रेड किया गया, जो कि दुनियां भर में अधिक ऊर्जा कुशल सिस्टम तकनीक के लिए लोकप्रिय है. हाल ही में, होटल लोड तकनीक का भी व्यवहार किया गया और यह लोको वर्तमान में भारतीय रेल की प्रतिष्ठित राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन कर रही है. उत्तरोत्तर विकास के साथ, इस WAP 7 हाई स्पीड लोको ने सफलतापूर्वक 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रायल रन सफलता पूर्वक पास किया है. जिसे भारतीय रेल् द्वारा 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने के लिए हरी झंडी दिया गया है। चिरेका मौजूदा स्थिति में WAP 7 जो की 6000 एचपी का है इसे 9000 एच पी में अपग्रेड करने के लिए भी कार्य तेजी से चल रहा हैं. आशा है चित्तरंजन रेल इंजन कारखाना भारतीय रेल के लिए इसी प्रकार कार्यबद्ध रहेगा और आने वाले समय में और अधिक विद्युत् रेल इंजिनों का निर्माण नया कीर्तिमान बनाएगा.
चिरेका के महापरकाबंधक प्रवीण कुमार मिश्रा