ओम प्रकाश शर्मा आसनसोल /चित्तरंजन: चित्तरंजन रेल इंजन कारखाना प्रबंधन ने हाल ही में एक नया आदेश जारी किया है, जिसमें शहर के अस्पताल, कार्यशाला और कार्यालयों के भीतर किसी भी प्रकार के धरना-प्रदर्शन और घेराव पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। 13 सितंबर को आरपीएफ के आईजी सत्यप्रकाश ने सीएलडब्ल्यू की 9 यूनियनों के अध्यक्षों और महासचिवों के साथ हुई बैठक में इस निर्णय को और प्रभावी बनाने पर जोर दिया। बैठक में 34 उच्च पदस्थ आरपीएफ अधिकारी भी मौजूद थे, जिसमें शहर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की गई।
आईजी ने कहा कि किसी भी मुद्दे की शिकायत संबंधित विभाग में पहले दर्ज की जानी चाहिए और 15 दिनों के भीतर समाधान न मिलने पर ही आगे की कार्रवाई की जा सकेगी। दुर्गा पूजा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने के लिए अतिरिक्त आरपीएफ बल तैनात करने की योजना भी बताई गई। उन्होंने बताया कि चोरी और अन्य आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए आरपीएफ की सतर्कता बढ़ाई जाएगी।
हालांकि, यूनियन नेताओं ने इस आदेश का कड़ा विरोध किया। यूनियन नेता इंद्रजीत सिंह ने बैठक में कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और कानून के तहत उन्हें आंदोलन करने का अधिकार है। चेतावनी दी कि सीएलडब्ल्यू के श्रमिकों के खिलाफ किसी भी कार्रवाई का वे लोकतांत्रिक तरीकों से विरोध करेंगे।यूनियन नेताओं का यह भी आरोप है कि सुरक्षा के नाम पर शहर में अतिक्रमण हटाने और पॉकिट गेट बंद करने की कार्रवाई से लोग नाराज हैं। कुछ लोगों का कहना है की बेरोजगार लोग छोटे व्यापार से अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं, और इनका उजड़ना शहर के लिए हानिकारक होगा।
आईजी ने भरोसा दिलाया कि आने वाले छह महीनों में चित्तरंजन शहर की सुरक्षा व्यवस्था को और आधुनिक और सुदृढ़ किया जाएगा। इसके बावजूद, यूनियन नेताओं ने स्पष्ट कर दिया कि वे श्रमिक अधिकारों की रक्षा के लिए हरसंभव आंदोलन करेंगे।















