एक विद्यालय में जहां केवल 20 बच्चे उपस्थित थे, वहां 146 बच्चों को भोजन देने का झूठा दावा कैसे किया गया
ओम प्रकाश शर्मा, गया, बिहार, 23 जुलाई 2024: स्कूलों द्वारा छात्रों की फर्जी उपस्थिति दर्ज कर सरकारी अनाज और धन का व्यापक दुरुपयोग करने वाले स्कूल और वहां के प्रधानाध्यापक सावधान हो जाएँ क्योंकि अब बिहार में बच्चों को मिलने वाले सरकारी अनाज और निवाले के साथ धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और अब इसकी शुरुआत भी जिला प्रशासन ने कर दी है। जिसके बाद गया जिले में मध्याह्न भोजन योजना में व्यापक भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। स्कूलों द्वारा छात्रों की फर्जी उपस्थिति दर्ज कर सरकारी अनाज और धन का गबन किया जा रहा है। यह चौंकाने वाला मामला गया जिले में सामने आया है। जांच में पाया गया कि कई विद्यालय ‘इंटीग्रेटेड चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम’ में झूठे आंकड़े दर्ज कर रहे थे। तो आईये सबसे पहले हम इस घोटाले की प्रकृति को समझने का प्रयास करते हैं।
फर्जी उपस्थिति: कई विद्यालयों ने ‘इंटीग्रेटेड चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम’ में वास्तविक से कहीं अधिक छात्रों की उपस्थिति दर्ज की।
अनाज का दुरुपयोग: अतिरिक्त दर्ज किए गए छात्रों के नाम पर मिलने वाले अनाज का गबन किया जा रहा था।
गुणवत्ता में कमी: कुछ स्कूलों में घटिया भोजन परोसा जा रहा था – चावल में अधिक पानी मिलाकर और सब्जियों की मात्रा कम करके।
गुरुआ प्रखंड के एक स्कूल में जहां केवल 20 बच्चे मौजूद थे, वहां 146 बच्चों को भोजन देने का दावा किया गया। ताज़ा उदाहरण को देखते हुए लोग सवाल कर रहे हैं की गुरुआ प्रखंड के एक विद्यालय में जहां केवल 20 बच्चे उपस्थित थे, वहां 146 बच्चों को भोजन देने का झूठा दावा कैसे किया गया किया गया। कहीं यह खेल जिले के अन्य स्कूलों में भी तो नहीं चल रही होगी इसकी भी गहन जाँच होनी चाहिए।
इस घोटाले की गंभीरता यहीं नहीं रुकती। कुछ स्कूलों में घटिया भोजन परोसा जा रहा था – चावल में अधिक पानी मिलाकर और सब्जियों की मात्रा कम करके बच्चों को पौष्टिक आहार से वंचित किया जा रहा था।
जिला प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए: दो हेडमास्टरों को निलंबित किया, तीन अन्य से राशि वसूली का आदेश दिया, 32 संदिग्ध स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने सभी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की निगरानी का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, “यह योजना हमारे बच्चों के पोषण के लिए है। हम सुनिश्चित करेंगे कि हर दाना वास्तविक छात्रों तक पहुंचे।”
यह खुलासा कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जांच के गहन होने के साथ, जनता के विश्वास और करदाताओं के धन के इस विश्वासघात का पूरा सच सामने आने की उम्मीद है।
यह घोटाला न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला है, बल्कि लाखों गरीब बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ का भी मामला है । जांच के और गहन होने के साथ, इस घोटाले का पूरा विस्तार सामने आने की उम्मीद है। मिडिया में ख़बरें प्रकाशित होने के बाद यह मामला राज्य सरकार और केंद्र सरकार के स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है । अब देखना यह है की जिलाधिकारी के इस कदम से मध्याह्न भोजन योजना के बेहतर क्रियान्वयन और छात्रों के पोषण स्तर में सुधार की उम्मीद में वृद्धि होती या नहीं या फिर मामला ठंडा होते ही फिर से फर्जीवाड़ा शुरू हो जायेगा लोग ऐसा कह रहे हैं।













