Bharat TV News | "The Right Path to Journalism"

"सच वही जो हम दिखाएं"

किसानों से पराली नही जलाने का शपथ लेकर कम्बाईन हार्वेस्टर से की जा सकेगी धान की कटनी

जिले के बाहर से आने वाले हार्वेस्टर के मालिकों को संचालन के लिये लेना होगा गया प्रषासन से अनुमति
फसल अवषेष जलाने वाले किसानों का नही खरीदा जायेगा धान
फसल अवशेष को नही जलाने के लिये लिफलेट तैयार कर पंचायत स्तर पर राजस्व कर्मचारी एवं आषा, आँगनवाड़ी सेविका/सहायिका के माध्यम से प्रचार- प्रसार कराने का निर्देश।
BHARATTV.NEWS: जिला पदाधिकारी के द्वारा गोपनीय शाखा में फसल अवशेष प्रबंधन हेतु अन्र्तविभागीय बैठक की। जिला पदाधिकारी ने कहा कि धान, गेहूँ आदि फसलों की कटाई के बाद शीघ्र ही अगली फसल की बुआई हेतु किसान फसल अवषेष जलाना प्रारम्भ कर देते है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ ही वातावरण भी बुरी तरह प्रदुषित हो जा रहा है। फसल अवशेष जलाने की घटना विकराल रुप ले रही है। यद्यपि किसानों को इसके लिये लगातार जागरुक किया जा रहा है कि वे फसल अवशेष नही जलायें। इसके बावजूद कुछ किसानों के द्वारा फसल कटाई के बाद फसल अवशेष जलाया जाता है। अभी धान की कटनी प्रारम्भ हो रही है। अतः अभी से सभी निरोधात्मक कार्रवाई कर लें। फसल अवशेष जलाने का मुख्य कारण कम्बाईन हार्वेस्टर से फसल की कटनी है। इसमें फसल के उपरी भाग से कटनी की जाती है जिसके कारण बड़े पैमाने पराली खेतों में रह जाती है। कम्बाईन हार्वेस्टर में पराली प्रबंधन यंत्र (SMS) से इसकी भी कटाई कर मिट्टी में मिला देते है। अतः कम्बाईन हार्वेस्टर जिला प्रषासन की अनुमति लेकर ही परिचालन करें इसे सुनिष्चित कराया जाय। बिना अनुमति के कम्बाईन हार्वेस्टर का परिचालन करने वाले कम्बाईन हार्वेस्टर के मालिकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाय। कम्बाईन हार्वेस्टर के मालिकों को कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ पराली प्रबंधन प्रणाली (एस॰एम॰एस॰) रखना अनिवार्य होगा। कम्बाईन हार्वेस्टर से धान की कटनी के पूर्व संबंधित किसानों से इस आषय का प्रमाण लेना अनिवार्य होगा कि वे धान कटनी के बाद अपने फसल अवषेष (पराली) को नही जलायेंगे। गया में बाहर के जिलों विषेषकर रोहतास, कैमुर आदि से बड़े पैमाने पर कम्बाईन हार्वेस्टर धान की कटनी के लिये आते है। जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि बाहर से आने वाले कम्बाईन हार्वेस्टररों को भी गया जिले में संचालित करने के लिये गया जिला प्रषासन से अनुमति लेनी होगी। जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कड़ी चेतावनी देते हुये कहा कि बिना प्रषासनिक अनुमति के गया जिले में संचालित होने वाली कम्बाईन हार्वेस्टरों को जब्त कर लिया जायेगा। जिन कम्बाईन हार्वेस्टरों को धान कटनी हेतु पास निर्गत किया गया है उन्हें सभी किसान के धान की कटनी प्रारम्भ करने के पूर्व उस किसान से पराली नही जलाने का शपथ लेना होगा। पराली जलाने के मामले में आरोपित किसान का पंजीकरण संख्या अवरुद्ध कर दिया जायेगा। इसके फलस्वरुप च्ड किसान, कृषि इनपुट अनुदान, बीज अनुदान आदि सभी प्रकार के अनुदान से वंचित हो जायेंगे। पंजीकरण संख्या अवरुद्ध हो जाने के कारण किसान धान अधिप्राप्ति के लिये भी आवेदन करने में असफल हो जायेंगे। इससे वे अपने धान की बिक्री भी नही कर पायेंगे। पराली जलाने वाले किसानों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की जायेगी। जिस कम्बाईन हार्वेस्टर से उस किसान के धान की कटाई की गयी है यदि उसके मालिक/चालक ने किसान से शपथ पत्र प्राप्त नही किया होगा तो प्राथमिकी में उस कम्बाईन हार्वेस्टर के मालिक को भी सह अभियुक्त बनाया जायेगा। कृषि विज्ञान केन्द्र मानपुर के प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि विभिन्न फसल अवषेषों पर वेस्ट डी-कम्पोजर का उपयोग कर सकते है। वेस्ट-डी-कम्पोजर पुआल को गलाकर बहुत ही अच्छा जैविक खाद तैयार करता है।
जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि विभिन्न पंचायतों में पराली जलाने की घटना से धान की कटनी की निगरानी के लिये प्रत्येक पंचायत के लिये एक किसान सलाहकार या ए॰टी॰एम॰ या बी॰टी॰एम॰ या कृषि समन्वयक को जिम्मेवारी सौंपी गयी है। फसल अवषेष प्रबंधन पर निगरानी हेतु जिला कृषि कार्यालय, गया में एक नियंत्रण कक्ष बनाया जाय। इस नियंत्रण कक्ष के प्रभारी पदाधिकारी श्री आनन्द कुमार, सहायक निदेषक (कृषि अभियंत्रण) मोबाईल संख्या 8544588325 बनाये गये है। फसल अवषेष/पराली जलाने से संबंधित षिकायतों को इस नम्बर 0631-2950329 पर भी की जा सकेगी। इसके अतिरिक्त समाहरणालय स्थित नियंत्रण कक्ष के मोबाईल/दूरभाष 0631-2222253 पर भी फसल अवषेष जलाने संबंधी षिकायतें की जा सकती है। जिला पदाधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया कि फसल अवशेष का नही जलाने के लिये लिफलेट द्वारा एक मार्गदर्षिका तैयार कर पंचायत स्तर पर जीविका दीदी, राजस्व कर्मचारी एवं आषा, आँगनवाड़ी सेविका/ सहायिका के माध्यम से प्रचार- प्रसार कराने का निर्देश दिया गया।