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किसान आंदोलन में भटक कर दुमका पहुंच गया था पंजाब का मूक-बधिर बालक

सीडब्ल्यूसी ने बालक के परिजनों को खोज निकाला, एस्कोर्ट आर्डर जारी कर भेजा मोगा

उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने उपहार देकर बालक को एस्कोर्ट टीम को सौंपा
BHARATTV.NEWS: दुमका। पंजाब राज्य के मोगा जिले का एक 10 वर्षीय बालक अपने पिता के साथ किसान आंदोलन में दिल्ली गया था। उसके बाद से पिता-पुत्र के बारे में उनके परिवार को कोई जानकारी नहीं थी। पिता से बिछड़ कर यह बालक किसी तरह से दुमका पहुंच गया। मूक-बधिर होने के कारण बालक के घर और परिवार के बारे में जानकारी हासिल करना कठिन काम था पर बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने अंततः इस बाल के परिवार को खोज निकाला। गुरूवार को उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने इस बालक को उसके घर पंजाब पहुंचाने के लिए उपहार देकर उसे एस्कोर्ट टीम को सौंप दिया। इस मौके पर समिति के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय और कुमारी विजय लक्ष्मी एवं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र भी मौजूद थे। सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि पत्रकार दशरथ महतो को शहर के प्राईवेट बस स्टैण्ड में कालिका होटल के पास से 27.07.2022 को यह 10 वर्षीय बालक मिला था। चाइल्डलाइन के टीम मेंबर निक्कु कुमार ने इस बालक को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया था। बालक के मूक और बधिर होने के कारण न तो उसका बयान लिया जा सका और न ही किसी तरीके से वह अपने बारे में कुछ बता पाया । समिति ने बालक को सीएनसीपी घोषित करते हुए बालगृह में आवासित कर दिया है। समिति ने बालक केे परिजनों की खोजबीन करने के लिए उसी दिन उसका फोटो भी अखबारों में जारी किया और मिसिंग एंड फाउण्ड पोर्टल पर उसका फोटो सहित विवरण अपलोड करने का आदेश दिया पर उसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। बच्चे के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए विशेषज्ञ की भी सेवा ली गयी पर यह प्रयास भी असफल रहा। अंततः समिति के आदेश पर बालक का आधार कार्ड बनाने के लिए आवेदन दिया गया। पहले से उसका आधार कार्ड बना होने के कारण आवेदन रिजेक्ट हो गया और उसके आधार का विवरण प्राप्त हो गया। आधार कार्ड में मिले बालक के पता के आधार पर पंजाब के मोगा के डीसीपीओ से एसआईआर मांगा गया। वहां के डीसीपीओ ने एसआईआर में बताया कि दिये गये पता पर बालक की नानी से मुलाकात हुई। नानी ने बताया कि बालक मूक-बधिर है। उसके मां की मृत्यु हो चुकी है। पिता उसे लेकर किसान आंदोलन में दिल्ली गया था। उसके बाद से दोनों का कुछ पता नहीं चल रहा था कि दोनों जिन्दा हैं या मर चुके हैं। काफी ढूंढने पर भी उनका पता नहीं चला। अब पता चला है कि उनका नाती जिंदा है और झारखण्ड में है। नानी ने कहा ‘‘मैं हाथ जोड़कर बिनती करती हूं कि मेरा नाती मुझे दिया जाये।’’ समिति ने 20 जुलाई को ही एस्कोर्ट आर्डर जारी करते हुए बालक को उसके घर पहुंचाने का आदेश दिया था, पर इस आदेश का अनुपालन नहीं हा पाया। उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने इस बाल को उसके घर तक पहुंचाने के लिए राशि की स्वीकृति दी। 23 अगस्त को समिति ने एस्कोर्ट आर्डर को संशोधित करते हुए बालगृह के प्रभारी संजु कुमार और पीओ दिनेश पासवान को बालक को मोगा के बाल कल्याण समिति को सौंपने का आदेश जारी किया। गुरूवार को दोनों बालक को लेकर धनबाद रवाना हो गये जहां से वे ट्रेन से पंजाब के मोगा पहुंचेंगे। डीडीसी अभिजीत सिन्हा ने पंजाब के इस मूक-बधिर बालक को उसके परिवार में रिस्टोर करने के बाल कल्याण समिति के सतत प्रयास और सफलता के की प्रशंसा की है।