BHARATTV.NEWS; CHITRA : कोयलांचल के अनेक गांवों में मोहली समुदाय के लोग बांस के सामान बनाकर अपनी आजीविका चलाते हैं। शेड के अभाव में उनकी कार्यकुशलता प्रभावित हो रही है। मांग किया है कि उन्हें सरकारी सुविधा उपलब्ध हो।
तिलैया, रघुवाडीह, शिमला, बासकुपी, पालोजोर समेत कई गांव में मोहली जाति के लोग रहते हैं। वे जन्मजात कारीगर होते हैं। बांस के सूप डाला टोकरी समेत अन्य किस्म के सामान बनाने में उन्हें महारत हासिल है। हालांकि प्लास्टिक के सामान बाजारों में आ जाने से उनके परंपरागत धंधे पर प्रभाव अवश्य पड़ा है। फिर भी उनके जीने का जरिया बांस की कारीगरी ही है। इससे प्राप्त पैसे से वे अपनी आजीविका चलाते हैं। इन्हें घर के बाहर ही उन्हें खुला आसमान तले बांस के सामान बनाना पड़ता है। तिलैया गांव वासी रामदेव मोहली, सावित्री देवी, मुन्नी देवी, हेमंती देवी, शांति देवी, साधो देवी समेत अन्य कहते हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पाता है। अगर उन्हें शेड मिल जाता तो तेज गति से छांव में काम कर सकते थे। परंतु यह सुविधा उपलब्ध नहीं रहने से उनकी कार्य कुशलता घट रही है। सभी मांग करते हैं कि उनके धंधे के संरक्षण के लिए सरकारी सुविधा मिलनी चाहिए साथ ही मोहली शेड का भी निर्माण हो। जिससे उनकी कार्य कुशलता बढे।






