फतेहपुर, (जामताड़ा) :- आजसू पार्टी के केंद्रीय सचिव माधव चंद्र महतो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कहा कि आजसू पार्टी का गठन ही आंदोलन के गर्भ से हुआ है और सदैव से आजसू चाहती है कि झारखंड एक सौगात में प्राप्त होने वाला राज्य नहीं है। बल्कि यह संघर्ष के चोट से एवं बल से यह राज्य हमें मिला है और इस राज्य का जो बुनियादी मांग रहा है उसमें स्थानीयता नीति को परिभाषित करने के लिए 1932 का खतियान इसका आधार है। आश्चर्य तो तब लगता है जब मुंडा सरकार में हेमंत सोरेन डिप्टी सीएम थे और तब हेमंत सोरेन के झामुमो पार्टी ने ग्यारह सूत्री मांग थमाकर मुंडा सरकार से अपना समर्थन को वापस ले लिया था। जिसमें प्रमुख मांग था स्थानीयता की नीति को 1932 के खतियान से परिभाषित किया जाए। कहा कि झामुमो पार्टी ने जो चुनावी घोषणा पत्र में प्रमुखता से कहा था कि हमारी सरकार बनेगी तो 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता की नीति को लागू करेंगे। लेकिन आज खतियानी सरकार है, अबुआ दिसोम, अबुआ राज वाली सरकार है फिर भी अबुआ दिसोम और अबुआ राज के लोग अपने बुनियादी मांग को लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। श्री महतो ने भाषा विवाद को लेकर कहा कि संस्कृति, सभ्यता और भाषा यह सारा चीज अगर बिहार से मिलता इस क्षेत्र को तो झारखंड को अलग प्रांत करने का कोई औचित्य ही नहीं था। हमारी संस्कृति अलग थी और हम बिहार से मिलते जुलते भी नहीं थे। इसलिए एक मांग हुआ कि झारखंड को अलग प्रांत बनाया जाए। कहा कि हेमंत सरकार द्वारा 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया गया और जब पाँच लाख युवक-युवतियों को नौकरी देने की बारी आई तब मगही और भोजपुरी को स्थानीय भाषा का दर्जा दे दिया गया। इसका मतलब है कि झारखंडी बच्चा चूँकि यह भाषा जानते नहीं है तो नौकरी को बेचने का एक परिपाटी वर्तमान हेमंत सरकार बना रही है। आजसू पार्टी सिरे से इसका विरोध करती है और नतीजा यह है कि आज यहां के आदिवासी एवं मूलवासी अपना अस्तित्व एवं भाषा के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। कहा कि माटी की पार्टी कहलाने वाली हेमंत सरकार हर तरफ विफल साबित हुई है। इस मौके पर आजसू पार्टी के जिला उपाध्यक्ष विकास चंद्र मंडल, प्रखंड अध्यक्ष आशीष मंडल, संजय कपूर, तपन चौधरी, संतोष महतो, हराधन मंडल, हलधर मंडल, राकेश आदि उपस्थित थे।














