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झारखण्ड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने स्थानीय नीति नियोजन नीति और भाषा संस्कृति को लेकर क्या कहा?

BHARATTV.NEWS: जामताड़ा (फतेहपुर): आज 31 जनवरी प्रातः काल नाला विधानसभा विधायक सह विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो अपने समर्थकों के साथ आवास प्रांगण में धूप सेंक रहे थे और क्षेत्र के लोगों से बातचीत कर रहे थे , ठीक उसी समय संवाददाता उनके पास पहुंचे। वैसे तो वे तड़क भड़क से दूर और शादगी जीवन जीने के आदी हैं ही लेकिन अपने आवास पर भी वे वैसे रहते जैसे वह एक साधारण आम व्यक्ति हो।वे बड़े प्यार से क्षेत्र के लोगों से बातचीत करते हैं और उनकी समस्या सुलझाने का आश्वासन भी देते हैं। साधारण वेशभूषा में बैठे हुए थे और लोगों से बातचीत कर रहे थे तभी संवाददाता ने उनसे कहा कि आपका एक तस्वीर लेना था। तो उसने कहा ले लिजिए।

मैं फोटो लेते हुए कुछ सवाल पूछने है। तो वे बोले पूछिए। मैं ने उसे पूछा कि झारखण्ड में आज तक नियोजन नीति और स्थानीय नीति क्यों लागू नही हुआ तो उसने बताया कि अभी मंथन चल रहा है। झारखण्ड सरकार द्वारा जल्द ही इस पर निर्णय लेगी जो झारखण्ड वासियों के हीत में होगी। उन्होंने कहा कि जहां तक 1932 की बात है वह बिचारनीय विषय है उस पर मंथन चल रहा है। फिर उनसे पूछा गया कि अभी वर्तमान समय में झारखण्ड में भाषा और संस्कृति को लेकर बवाल मचा हुआ है। उर्दू भाषा, मैथिली भाषा और भोजपुरी मघ्ई भाषा को आठवीं अनुसूची में डाला गया है। उसे सूची से बाहर करने को लेकर आन्दोलन हो रहा है। इस पर आप कुछ बोलिए। तो उसने जवाब देते हुए कहा कि झारखण्ड में अनेक प्रकार के जाति समाज के लोग बसे हुए हैं और कुछ तो बहुत पूराने समय से बसे हुए हैं। वैसे लोग तो चाहते ही हैं कि उनका भी उपस्थित दर्ज रहे। लेकिन हेमन्त सोरेन की सरकार की मनसा साफ है कि यहां के जो मूलवासी हैं उन्हें उसका लाभ जरूर मिलेगा।