BHARATTV.NEWS CHITRA : बाहरी भाषा को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा देने के विरोध में रविवार को कोयलांचल के हड़तोपा गांव स्थित स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो की प्रतिमा व यहां के चौक में ग्रामीणों ने जोरदार प्रदर्शन किया।
हेमंत महतो, विमल महतो, हरीश चंद्र महतो समेत अन्य वक्ताओं ने कहा कि हेमंत सरकार ने यहां के मूल वासियों की भाषा को महत्व देने के बजाय बाहरी भाषा को हमारे सर पर थोप दिया है। जिसका यहां आए हुए कई दर्जन गांव के सैकड़ों लोग पुरजोर विरोध करते हैं। आंदोलनकारियों ने इस कार्यक्रम से मांग किया कि झारखंड के सभी जिले से बिहारी भाषा को अविलंब हटाया जाय। क्योंकि ऐसा करके झारखंड के आदिवासी और मूलवासी के भाषा और संस्कृति का हनन हो रहा है। झारखंड में 80 फीसद रोजगार झारखंडी को मिलना चाहिए 20 फीसद बाहरी को। लेकिन ठीक इसके विपरीत हो रहा है। हेमंत सरकार की गलत नीति के कारण झारखंड वासी हाशिए पर जा रहे हैं। अन्य प्रदेश के लोगों का यहां बोलबाला कायम हो रहा है। 1932 का खतियान को लागू करना होगा तभी अन्य प्रदेश के लोगों का दबदबा खत्म होगा।आंदोलनकारियों ने कहा कि झारखंडियों के भाषा और संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए इसे विशेष अधिकार बहुत पहले ही 1908 में सीएनटी और 1949 में एसपीटी एक्ट के तहत दिया गया है । लेकिन कानून को चकमा देकर और झारखंडियों के अज्ञान, भोलापन, का गलत फायदा उठाकर पूरे झारखंड में बाहरी लोगों ने यहां कब्जा कर लिया है, जिससे हमें कोई गिला शिकवा नहीं है परंतु अब बाहरी भाषा को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दिया जाना हमें स्वीकार नहीं है, इसका पुरजोर विरोध चहुओर हो रहा है। अगर सरकार ऐसा करती हैं तो झारखंड के मूल निवासी को अपने अधिकार से वंचित होना पड़ेगा।
इस प्रदर्शन में निताय महतो, राजेश महतो, राकेश, भुवनेश्वर, सुनील, रंजीत, जितेंद्र, गुणाधार, निर्मल , आकाश, विकाश, प्रकाश समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।














