पारंपरिक हथियार के साथ युवक- बुजुर्ग, बच्चे जंगल में किये शिकार
CHITRA: सारठ के ग्रामीण इलाकों में 10 जनवरी से मनाया जा रहा आदिवासियों का महापर्व सोहराय शुक्रवार को शिकार के साथ ही समापन हो गया। जमुआ, मुर्गाबनी, दुबेबेड़ा, पलमा, हेटबहियार, हरिहरमाटी, जोलागढ़ा समेत दर्जन भर से अधिक आदिवासी बाहुल्य गांव के युवक बुजुर्ग बच्चे पारंपरिक हथियार लेकर शिकार खेलने जंगल की ओर प्रस्थान कर गए। शिकार में जो भी पक्षी व छोटे-छोटे जीव जंतु हाथ लगे, सबों ने मिल बैठकर साथ में भोजन किया। साम्यवादी व्यवस्था के तहत उनके साथ जाने वाले कुत्तों को भी शिकार में हिस्सा मिला। उल्लेखनीय है कि 10 जनवरी को नहाय खाय के इस त्योहार का शुभारंभ हुआ। गोड़ पूजा, गोहाल पूजा, बरद खूटा आदि विभिन्न चरणों में समाज के लोगों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस दौरान मांदर, नगाड़ा, बांसुरी आदि बजाने में माहिर युवक सक्रिय दिखे। महिलाओं को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के धुन के साथ संताली गीतों पर नृत्य करते नजर आई। युवक भी अपने-अपने टोलियों में नाचते गाते त्योहार का आनंद लेते रहे।














