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संथाल आदिवासियों का महापर्व सोहराय बंधना शिकार उत्सव के बाद समाप्ति की ओर

जामताड़ा (फतेहपुर: संथाल आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार बंधना सोहराय परब आज शिकार उत्सव के बाद समाप्त हो जायगा।यह बात आदिवासी नेता और समाज सेवी अविता हांसदा ने बताया। उन्होंने कहा कि पांच दिनों तक लगातार पूजा अर्चना और खान पान के बाद आज शिकार उत्सव मना कर समाप्त हो जायगा। आज आदिवासी युवा एक साथ झुण्ड बना कर गांव से बाहर झाड़ जंगल में शिकार ढूंढने निकल जाता है।उसे झाड़ जंगल में जो भी जीव जंतु दिखाई देता है उसका वे घेर कर शिकार कर देते हैं। मुर्गा,सुअर,खराह, लोमड़ी और खटास,तितर जैसे जंगली जीव जंतु दिखाई देने पर वे सब उसपर टूट पड़ते हैं।
फिर शिकार वस्तु को आपस में हिस्सा बांट लेते हैं या उसका खिचड़ी पका कर आपस में मिल बांटकर सामुहिक रूप में खाते हैं।हांसदा ने कहा कि आज कल जंगल झाड़ कम हो गया है।इस लिए यह शिकार उत्सव परंपरा समाप्त प्राय हो चला है। फिर भी कहीं कहीं खूब मौज-मस्ती के साथ मनाया जाता है। आज कल आदिवासी लोग भी मछली मांस मुर्गा की व्यवस्था अपने अपने स्तर पर घर में ही करते हैं। आज कल यही परंपरा जोर पकड़ रहा है। इसी को हाकू कांटकम भी कहा जाता है। आज यह उत्सव का त्योहार समाप्ति की ओर है। फिर अगले साल आने वाले इस त्योहार का इंतजार रहेगा।