OM SHARMA, BHARATTV.NEWS: आज 9जनवरी को हिन्दी सिनेमा जगत के लोकप्रिय पार्श्वगायक महेन्द्र कपूर जी का 88वां जन्मदिवस है। आज ही के दिन 1934 में पंजाब के अमृतसर में पैदा हुए महेन्द्र कपूर जी के एक खास गीत की चर्चा करूँगा।यह गीत बहुत कम सुनने को मिलता है। संगीतकार रोबिन बनर्जी ने गीतकार अंजान के लिखे इस गीत को फिल्म हुश्न का गुलाम के लिये महेन्द्र कपूर जी से गवाया था। इसबात की जानकारी देते हुए हिन्दी सिनेमा जगत के समीक्षकलेखक पारो शैवलिनी ने बताया,बात 1957 के आसपास की है जब संगीतकार रोबिन बनर्जी फिल्मों के लिये संघर्ष कर रहे थे। उन दिनों गोल्डी साहब बम्बई में नाटक शो किया करते थे। रोबिन उनके नाटकों के लिए काम किया करते थे। महेन्द्र कपूर जी भी गोल्डी साहब के नाटकों से जुड़े हुए थे। इसे इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि सेंट जेवियर्स काॅलेज में गोल्डी साहब के एक नाटक मंचन के दौरान फिल्म निर्देशक आर एस राही रोबिन बनर्जी से मिले और उन्हें अपनी निर्माणाधीन फिल्म वजीरे-आजम के लिये बतौर संगीतकार काम सौंपा। संगीतकार रोबिन बनर्जी की यह पहली फिल्म थी। महेन्द्र कपूर जी की आवाज़ संगीतकार रोबिन बनर्जी को बहुत अच्छी लगी। इस फिल्म में जो 1958 में प्रदर्शित हुई संगीतकार ने महेन्द्र कपूर से भी एक गाना गवाया।बाद में अपनी एक और फिल्म हुश्न का गुलाम में भी संगीतकार रोबिन बनर्जी ने गीतकार अंजान के लिखे बोल ” देखा है जबसे आपका चेहरा ये चाँद सा ” को महेन्द्र कपूर जी से गवाया था जो उन दिनों काफी सराहा गया था।मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती… और भारत का रहें वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ… जैसे देशभक्ति के गीत से आमजन में देशभक्ति का जोश जगाने वाले हिंदी सिनेमा जगत के मशहूर और लोकप्रिय गायक महेंद्र कपूर एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे महेंद्र कपूर भारत – विभाजन के बाद मुंबई आ गए. जहां उनके संगीत जीवन की नींव रखी गई. महेंद्र ने अपनी आवाज़ से ईश्वर भक्ति का अलख जगाया तो वहीं देशप्रेम की जागृति भी जगाई. महेंद्र कपूर ने पंडित हुस्नलाल, पंडित जगन्नाथ बुआ, उस्ताद निआज अहमद खान, उस्ताद अब्दुल रहमान खान, पंडित तुलसीदास शर्मा आदि ने संगीत की शिक्षा प्राप्त की.मोहम्मद रफी को आदर्श मानने वाले कपूर ने अपना सिंगिंग करियर वी. शांताराम की फिल्म नवरंग 1958 में प्रारंभ किया.












