
जामताड़ा ( विन्दापाथर ) :फतेहपुर प्रखण्ड अन्तर्गत विभिन्न आदिवासी गांव में बांधना परब त्यौहार को लेकर घरों की साफ-सफाई शुरू कर दिया है।.पांच दिनों तक चलने वाला यह त्यौहार आदिवासियों की सबसे बड़ा त्यौहार हाथी लिका परब माना जाता है।इन पांच दिनों में विभिन्न तरह के देवी देवताओं को दिन के हिसाब से पूजा किया जाता है।यह हाथी लिका परब बांदना त्योहार 25 पौष यानी 10 जनवरी से शुरू होता है और 29पौष यानी 14 जनवरी को समाप्त हो जाता है। हालांकि झारखण्ड राज्य के कई क्षेत्रों में यह त्यौहार का दिनांक थोड़ा आगे पीछे भी हो जाता है।मगर त्यौहार की अवधि वहां भी पांच दिनों का ही होता है।
आदिवासी युवक और समाज सेवी अविता हांसदा, हेमलाल मुर्मू, काली कोर्ट मरांडी,गुणाधर टुडू ने जैसे बताया कि प्रथम दिन यानी पच्चीस पौष को हमलोग स्नान करते हैं और उसी रात से देवताओं को पूजने लगते हैं।मगर विभिन्न दिनों में विभिन्न तरह के देवता को पूजते हैं। पूजा अर्चना कर मांस मुर्गा खूब खाते में।जम कर हण्डीया दारू पीते हैं।खूब मौज-मस्ती करने हैं। नाचते गाते हैं।सौहराय गीतों की मधुर आवाज़ और मांदल नागाड़ा की धुन से हम-सब डोलने लगते हैं और नाचने लगते हैं। हंसी ख़ुशी से हम-सब मिलते-जुलते हैं और पांचवें दिन शिकार उत्सव मना कर समाप्त हो जाता है। इस तरह से यह सौहराय हाथी लिका परब बांदना त्योहार उत्साह और उल्लास से मनाया जाता है।












