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"सच वही जो हम दिखाएं"

साहित्यिक शोक संवेदना लता मंगेशकर की याद में


बसंत पंचमी के थे वह दिन
पंच तत्व में हो गई विलीन
92 बसंत देख चुके थे वो
चिरनिंद्रा में हो चले थे लीन।।
36 भाषाओं में स्वर संगति जिनकी,
50 हजार संख्या की गीत
मां सरस्वती की प्रिय पुत्री थी वह
लाखों दिलों में दे गई संगीत।।
विरह वेदना या प्रेम मिलन
या विदाई जुदाई की संगीत।
हर लम्हें की स्वर थी वह
स्वर साम्राज्ञी की वह गीत।।
आज देश ही नहीं विदेशों में भी
शोकित हैं संगीत प्रेमी।
धन्य धन्य मां भारती की धरती
स्वर साम्राज्ञी लता जन्मी।।
आज राष्ट्रीय शोक में भारत
झुका दी तिरंगा अपनी
भारत रत्न पुरस्कार देकर
याद कर रहे हैं उनकी कुर्बानी।।
शुक्ल पंचमी को सरस्वती
मां का जैसे आविर्भाव हुआ।
स्वर साम्राज्ञी लता जी को
92 बसंत पार को हुआ।।
विसर्जन के दिन विदाई
लता की स्वर लता को
मां सरस्वती ने वीणा में
समेट लिया उस मधुर स्वर लता को।।

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धनेश्वर सिंह काल
सत नमन लता दीदी की जुदाई में।।

उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।