BHARATTV.NEWS न्यूज़: सलानपुर थाना क्षेत्र के मैथन पहाड़ों को नष्ट कर उजाड़ी जा रही हरियाली, जल जंगल जमीं पर माफियाओं की नजर पहाड़ों को कटाई कर चोरी छिपे कठोर चट्टानों को कटाई कर चोरी छिपे स्थानीय कारखानों में खपाने का सिलसिला जारी है जिसके कारण मैथन डीबीसी क्षेत्र के पहाड़ अब खतरे में आ गए हैं। फायरिंग सेंटर जहाँ फाॅर्स के जवान फायरिंग प्रैक्टिस के लिएव आते हैं उसके आसपास के पहाड़ को किनारे से चालाकी से काटा जा रहा है और सफ़ेद तथा काले चट्टान को ले जाया जा रहा है। पहाड़ को एक बेकार-बेजान संरचना समझकर खोदा जा रहा है, लेकिन यह ध्यान नहीं दिया जा रहा है कि नष्ट किए गए पहाड़ के साथ उससे जुड़ा पूरा पर्यावरणीय तंत्र ध्वस्त होता है। अदालतें बार-बार चेतावनी दे रही हैं कि पहाड़ों से छेड़छाड़ मत करो, लेकिन काळा कारोबारी सब पर भारी है।
पहाड़ स्थानीय पर्यावास, समाज, अर्थव्यवस्था, आस्था और विश्वास का प्रतीक होते हैं। पारंपरिक समाज भले ही इतनी तकनीक न जानता हो, लेकिन इंजीनियर तो जानते हैं कि धरती के दो भाग जब एक-दूसरे की तरफ बढ़ते हैं या सिकुड़ते हैं तो उनके बीच का हिस्सा संकुचित होकर ऊपर की ओर उठकर पहाड़ की शक्ल लेता है। जाहिर है कि इस तरह की संरचना से छेड़छाड़ के भूगर्भीय दुष्परिणाम उस इलाके के कई-कई किलोमीटर दूर तक हो सकते हैं। यदि गंभीरता से देखें तो मनुष्य के लिए फिलहाल पहाड़ों का छिन्न-भिन्न होता पारिस्थितिकी तंत्र चिंता का विषय ही नहीं है। पहाड़ों पर हरियाली न होने से वहां की मिट्टी तेजी से कटती है और नीचे आकर नदी-तालाब में गाद के तौर पर जमा होकर उसे उथला बना देती है। पहाड़ पर हरियाली बादलों को बरसने का न्योता होती है। पहाड़ अपने करीब की बस्ती के तापमान को नियंत्रित करते हैं। वे मवेशियों के चरागाह होते हैं। पहाड़ गांव-कस्बे की पहचान हुआ करते हैं।












