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संक्रमण की वजह से श्रावणी मेला का आयोजन संभव नहीं :हेमन्त सोरेन

दुमका और देवघर उपायुक्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से निर्देश

श्रावणी मेला का आयोजन कर राज्य सरकार महामारी के बुरे दौर में नहीं जाना चाहती

रांची संवाददाता। कोरोना संक्रमण के खिलाफ हमें और लड़ाई लड़नी है। ऐसे में श्रावणी मेला नजदीक है। श्रावण मास में पूरे देश से श्रद्धालु बाबाधाम और बासुकीनाथ आते हैं। राज्य सरकार राज्यवासियों के बेहतर स्वास्थ्य के प्रति गंभीर है। सरकार संक्रमण काल में लोगों के स्वास्थ्य को लेकर किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती, जिससे झारखण्ड महामारी के बुरे दौर में चला जाये। संक्रमण को हल्के में नहीं लेना है। इसके प्रति गंभीरता जरूरी है। पूरी सतर्कता से कार्य करना है। इस वजह से राज्य सरकार ने श्रावणी मेला का आयोजन इस वर्ष नहीं करने का निर्णय लिया है। हमें सामाजिक व्यवस्था और परंपरा को स्थगित रखते हुए कार्य करना है। ये बातें मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कही।

रंग-रोगन कर देवघर व बासुकीनाथ मंदिर को और भव्य बनाएं, परिसर को हाईजेनिक करें

डिप्टी कमिश्नर- श्रीमति नैन्सी सहाय

श्री सोरेन मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से श्रावणी मेला के आयोजन को लेकर दुमका एवं देवघर उपायुक्त को निदेश दे रहे थे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, पुलिस महानिदेशक एमवी राव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का, पर्यटन सचिव श्रीमती पूजा सिंघल, उपायुक्त दुमका, उपायुक्त देवघर, पुलिस अधीक्षक देवघर, पुलिस अधीक्षक दुमका व अन्य उपस्थित थे।

मंदिर परिसर को हाई जेनिक बनाएं

दुमका उपायुक्त श्रीमती राजेश्वरी बि.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी संक्रमण का दौर है और मंदिर में श्रद्धालु नहीं आ रहें हैं। प्रोटोकॉल के तहत सिर्फ पुजारी भगवान की आराधना कर रहें हैं। श्रद्धालु नहीं आ रहें हैं, ऐसे में दुमका और बासुकीनाथ मंदिर परिसर के भीतरी और बाहरी परिसर का निरीक्षण जिला प्रशासन करे, जहां भी किसी तरह की मरम्मत, निर्माण, बदलाव और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को देखते हुए कार्य करने की आवश्यकता हो तो यथाशीघ्र करें। बाबा मंदिर और बासुकीनाथ मंदिर का रंग-रोगन कर मंदिर को और भव्यता प्रदान करें। पूरे मंदिर परिसर को हाई जेनिक बनाएं। मैं स्वंय मंदिर परिसर को देखने का प्रयास करूंगा। ताकि बदलाव और निर्माण की दिशा में कार्य किया जा सके। इस बीच दोनों जिला के उपायुक्त मंदिर समिति के लोगों के साथ मंदिर का निरीक्षण कर योजना तैयार करें।

मुख्यमंत्री ने ये भी दिया निदेश…

★शिव-गंगा में किसी को स्नान करने नहीं दें, बैरीकेडिंग करें

★सूचना तंत्र को सशक्त करें, ताकि श्रद्धालु एक जगह जमा न हो सकें

★किसी भी राज्य से बस देवघर और दुमका की सीमा तक न आने पाये

★झारखण्ड की सीमा पर सूचना पट्ट लगाएं, जिससे पता चल सके कि श्रावणी मेला का आयोजन संक्रमण की वजह से स्थगित है

★ मंदिर परिसर में किसी तरह की भीड़ न हो

★पंडा समाज के लोग और जन प्रतिनिधियों का सहयोग लें

★पूरी सतर्कता और तय समय में प्रोटोकॉल का तहत पूजन का कार्य सुनिश्चित हो, अन्य गतिविधियों पर पूर्ण पाबंदी रखें

जानें श्रावणी मेला के बारे में

श्रावण के महीने के दौरान बाबाधाम का महत्व बढ़ता है इस अवधि के दौरान लाखों श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ मंदिर में इकट्ठा होते है। उनमें से ज्यादातर लोग सबसे पहले सुल्तानगंज जाते हैं, जो बाबाधाम से 105 किमी दूर है। सुल्तानगंज में, गंगा उत्तर में बहती है यह इस जगह से है कि भक्तों गंगा जल ले कर बाबा धाम की और पैदल आते है। वे बाबा बैधनाथ मंदिर तक 109 किलोमीटर की दूरी पर चलते हैं,लोग बोल बम बोलते हुए यहाँ तक बहुत ही श्रद्धा के साथ पहुचते है। बाबाधाम तक पहुंचने पर, कावरिया पहले शिवगंगा में खुद को शुद्ध करने के लिए एक डुबकी लेते हैं, और फिर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में प्रवेश करते हैं, जहां ज्योतिर्लिंगम पर गंगा जल अर्पित करते है। जुलाई-अगस्त के दौरान यह तीर्थ यात्रा पूरे 30 दिनों के लिए श्रावण के दौरान जारी रहता है। यह दुनिया का सबसे लंबा धार्मिक मेला है विदेशी भूमि के लोग न केवल श्रावण महीने में बल्कि शेष वर्ष के दौरान भी बाबाधाम जाते हैं। सुल्तानगंज से बाबाधाम की राह पर नजर रखने वाले लोगों का एक 109 कि.मी. लंबी मानव श्रृंखला वाली भगवा पहने तीर्थयात्रियों का है। यह अनुमान लगाया जाता है कि एक महीने की इस अवधि में 50 से 55 लाख तीर्थयात्री बाबादम जाते हैं। श्रवण की महान तीर्थ के अलावा, लगभग पूरे वर्ष मार्च में शिवरात्रि के साथ मेला, जनवरी में बसंत पंचमी, सितंबर में भद्रा पूर्णिमा लोगो का आना जाना लगा रहता है।