जाँच की न्यायिक मॉनिटरिंग सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार हो
BHARATTV.NEWS NETWORK : शुशांत सिंह राजपूत केस में सीबीआई जाँच पर राजनीतिक बयानबाज़ी और हस्तक्षेप की संभावना के मद्देनज़र जाँच की न्यायिक मॉनिटरिंग सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार हो, जैसा कि चारा घोटाला में हुआ था, तब दबावमुक्त माहौल में जाँच से फ़िल्मजगत पर प्रभावी लोगों का षड्यंत्र सामने आयेगा. विदित हो की सरयू राय झारखण्ड राज्य की जमशेदपुर पश्चिम सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक रह चुके हैं। साथ ही २०१९ के बिधानसभा झारखंड चुनाव के नतीजों में जमशेदपुर पूर्वी सीट से मुख्यमंत्री रघुबर दास चुनावी मुकाबले में हार चुके हैं। यहां पर रघुबर दास को उन्हीं की सरकार में मंत्री रहे बागी नेता सरयू राय ने 15,833 वोटों के अंतर से शिकस्त दी ।

जमशेदपुर पूर्वी सीट पर रघुबर दास को 58112 वोट मिले , वहीं सरयू राय ने 73945 मतों के साथ चुनावी मुकाबला अपने नाम किया। इस सीट को 1995 से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मजबूत गढ़ के रूप में देखा जाता था। २०१४ के चुनावों में वे इंडियन नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार बन्ना गुप्ता को 10517 वोटों के अंतर से हराकर निर्वाचित हुए। २०१४ के चुनावों के बाद पूर्ण बहुमत में आई भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री बने रघुवर दास एवं केबिनेट मंत्री बने सरयू राय। रघुवर दास सरकार में शामिल मंत्री सरयू राय ने 1994 में सबसे पहले पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था। बाद में इस घोटाले की सीबीआइ जांच हुई। राय ने घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने को उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक संघर्ष किया। इसके फलस्वरूप राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत दर्जनों राजनीतिक नेताओं व अफसरों को जेल जाना पड़ा। सरयू राय ने 1980 में किसानों को आपूर्ति होने वाले घटिया खाद, बीज, तथा नकली कीटनाशकों का वितरण करने वाली शीर्ष सहकारिता संस्थाओं के विरूद्ध भी आवाज उठायी थी। तब उन्होंने किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए सफल आंदोलन किया। सरयू राय ने ही संयुक्त बिहार में अलकतरा घोटाले का भी भंडाफोड़ किया था। इसके अलावा झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करने में सरयू राय की अहम भूमिका रही। इतने घोटालों के पर्दाफाश के बाद तो सरयू राय का नाम भ्रष्ट नेताओं में खौफ का पर्याय बन गया।














