इस महीने में शिव लिंग पर जल चढ़ाने वाले भक्तों को विशेष वरदान मिलता है
ओम प्रकाश शर्मा, जामताड़ा/आसनसोल। मिहिजाम, चित्तरंजन, रूपनारायणपुर, सालानपुर, आसनसोल, धनबाद आदि क्षेत्रों में सावन महीने के तीसरे सोमवारी को भक्तों ने भगवान शिव पर जलाभिषेक किया। आज से बंगाली समुदाय का सावन महीना शुरू होने से मंदिरों में खचाखच भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही श्रद्धालुगण जलाभिषेक के लिए मंदिरों में पहुंच गये। कोरोना को लेकर सोसल डिस्टेंसिंग व सामाजिक दूरी का कहीं लोगों ने ख्याल रखा तो कहीं यह आपको तस्वीरें ही बयां कर देगी। शिव और शिव भक्तों का प्रिय महीना होने के कारण भोलेनाथ के लिंग रूप की पूजा की गई। इस महीने में शिव लिंग पर जल चढ़ाने वाले भक्तों को विशेष वरदान मिलता है और उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

सावन महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था
पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी सावन महीने में समुद्र मंथन हुआ था जिसके बाद जो हलाहल विष निकला उसे भगवान शिव ने कंठ में समाहित कर इस सृष्टि की रक्षा की थी। हलाहल विष के कारण विषपान से महादेव का कंठ नीला पड़ गया और उसी समय से इसलिए महादेव को नीलकंठ के नाम से भी पुकारा जाता है। अपने अंदर और बाहर के विष का प्रभाव कम करने के लिए सावन महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ायें तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।














