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बिहार में ‘बाल श्रवण’ योजना की सफलता: गया जिले में 652 बच्चों का सफल इलाज, 45 को मिला कॉक्लियर इम्प्लांट”

ओम प्रकाश शर्मा , गया, 11 अगस्त २०२4: पटना स्थित ज्ञान भवन में माननीय सर्वोच्च न्यायालय, दिल्ली के न्यायाधीश श्री अभय एस ओका, माननीय सर्वोच्च न्यायालय, दिल्ली श्री अहसानुद्दीन अमानुल्लाह एवं पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में विकलांग बच्चों का संरक्षण हेतु एक दिवसीय राज्य स्तरीय परामर्श कार्यक्रम किशोर न्याय निगरानी समिति, पटना एव उच्च न्यायालय के सहयोग से समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार और यूनिसेफ द्वारा आयोजित किया गया है।
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है कि दिव्यांग बच्चों की देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता, विशेष रूप से चिकित्सा प्रबंधन सहित विकलांग बच्चों के लिए आवश्यक देखभाल के संबंध में कार्यशाला आयोजित की गई। उक्त कार्यशाला में जिला पदाधिकारी गया डॉ० त्यागराजन एसएम को बुलाया गया था।
आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला पदाधिकारी गया डॉ० त्यागराजन एसएम ने बताया कि 6 साल से कम उम्र वाले बच्चे, जिन्हें सुनने की क्षमता नही थी अर्थात ( हियरिंग लॉस) वाले बच्चों को चिन्हित कर श्रवण श्रुति कार्यक्रम के तहत उन बच्चो का निषुल्क उपचार करवाया जा रहा है।
ज़िला पदाधिकारी ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के सर्वे के अनुसार 1000 बच्चों में से 5- 7 बच्चे बोल नहीं पाते हैं तथा सुन नहीं पाते, से संबंधित पाए जाते हैं। इसलिए स्वास्थ्य विभाग, यूनिसेफ के सहयोग से श्रवण श्रुति कार्यक्रम ज़िले में प्रारंभ की गई। और ज़िले के सभी आगनवाड़ी केंद्रों में विशेष कैम्प लगवाकर बच्चो को चेकअप करवाया गया है। ज़िले में अब तक 326399 से अधिक बच्चों को जांच* करा लिया गया है उनमें 652 बच्चो को उपचार कर ठीक करवा लिया गया। साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चो की स्क्रीनिंग में 87 बच्चे बेरा पॉजिटिव पाए गए अर्थात हियरिंग लॉस पाए गए हैं।* उन में से 45 बच्चों को निशुल्क इलाज कराया गया तथा cochlear implant मशीन बच्चों को लगाए गए। अब ये बच्चे अपने मां—बाप आवाजें सुन सकते हैं। सर्जरी के बाद ये सभी बच्चों के माता—पिता के चेहरे पर मुस्कान है। उन्हें अब आशा जग गयी कि वह अपने बच्चों की बोली सुन रहे हैं। बच्चे अपने मातापिता को प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं।
आपरेशन के बाद सभी बच्चों को निःशुल्क समुचित स्पीच थेरैपी करवाया जाता है। स्पीच थेरैपी के माध्यम से बच्चो को सुनने एव समझने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
उपस्थित सभी ने श्रवण श्रुति के तहत छोटे बच्चो के समुचित इलाज को लेकर काफी प्रशंसा जाहिर किया है।
उलेखनीय है कि अब पूरे बिहार में बाल श्रवण के नाम से यह योजना संचालित की गई है।