बालगृह में रह रहे बालक को सीडब्ल्यूसी ने परिवार में किया रिस्टोर
मां की मृत्यु के बाद पिछले डेढ़ साल से बालगृह में रह रहा था बालक
भारत.न्यूज:दुमका। जन्म के बाद उसकी मां चल बसी। 60 दिन के बालक को पिता ने एक साल बाद घर ले जाने के वादे के साथ उसके बेहतर देखरेख एवं संरक्षण के लिए बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को सौंप दिया। पिता बच्चे से बीच-बीच में मिलने भी आया करता था। पर बाद में बालक के पिता की भी मौत हो गयी। इस तरह से इनकैपेसिटेटेड पैरेन्ट श्रेणी का यह बालक आरफन (अनाथ) की श्रेणी में आ गया। किशोर न्याय (बालकों के देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के प्रावधानों के मुताबिक देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले (सीएनसीपी) बालक के लिए परिवार सबसे अच्छा और बालगृह अंतिम विकल्प है। ऐसे में इस बाल को परिवार में रिस्टोर करना बाल कल्याण समिति के लिए बड़ी चुनौती थी। समिति ने बालक के बड़े पापा को इस बात के लिए तैयार किया कि वह बालक का संरक्षण एवं देखरेख करे। यह भी बताया गया कि प्रक्रिया के तहत बालक के पोषण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के लिए उसे स्पान्सरशिप स्कीम से जोड़ दिया जायेगा जिससे बालक को उसके खाते में तीन वर्ष तक 2000 रुपये मिलेंगे और झारखण्ड में मिशन वास्तसल्य के लागु होते ही यह राशि प्रतिमाह 4000 रुपये हो जायेगी। बालक के बड़े पापा और बड़ी मां इसके लिए सहर्ष तैयार हो गये। शनिवार को मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा डेढ़ साल के इस बालक को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय और नुतन बाला के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने इस मामले की सुनवायी करते हुए बालक के बड़े पापा और बड़ी मां का बयान दर्ज किया और वचनबंध लेकर बालक को उसके परिवार को सौंप दिया गया।












