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नीजिकरण की त्रासदीः बड़े मियां तो बड़े मियां और छोटे मियां सुभान अल्ला, चिरेका जीएम के लिए 6 लाख की कार और अन्य अधिकारियों के लिए 14 लाख की गाड़ी?

सरकारी राशी का हो रहा है दुरूपयोग?

भारतटीवीडाॅटन्यूज।WWW.BHARATTV.NEWS: CHITTARANJAN: निजीकरण का दौर ऐसा चला साहब कि अब चित्तरंजन रेलइंजन कारखाना चिरेका जैसे संस्थान के महाप्रबंधक यानी जीएम के लिए महज लगभग 6 लाख रूपए की सरकारी गांड़ी और उनके कनीय अधिकारियों के लिए लगभग 14 लाख रूपए की टेंडर की हुई गांड़ी उपलब्ध कराई जा रही है।
ऐसा बताया जा रहा है कि चिरेका में लगभग पिछले 10 वर्षों से भी ज्यादा समय से सरकारी वाहन कम खरीदे जा रहे है और सरकारी राशी का दुरूपयोग कम करने के लिए ज्यादातर कार्यों के लिए निजी तौर पर टेंडर कर वाहन रखे जा रहे है। कहा यह भी जाने लगा है कि यहां सबकुछ उल्टा पुल्टा हो रहा है सरकारी राशी के दुरूपयोग के साथ साथ सरकारी राशी के बंदरबांट भी टेंडरों और अन्य माध्यमों से होने की अपुश्ट बातें कही जाती रही है। ऐसे निजी तौर पर टेंडर किए गए वाहनों में मानकों का भी पालन नही किया जा रहा है। ऐसे टेंडरों के माध्यम से जहां कमाॅर्सियल वाहनों को शामिल किया जाना चाहिए था वहां प्राईवेंट वाहनों से ही काम चलाया जा रहा है। इतना ही नही है ऐसे वाहनों पर बकायदा भारत सरकार गवर्नमेंट आॅफ इंडिया, भारतीय रेल, इंडियन रेलवे आदि सरकारी स्टीकर भी लगा लिए गए है इससे ऐसे वाहन ड्यूटि आॅफ होने के बाद भी निजी तौर पर जहां तहां बेराकटोक विचरण करते नजर आते है। बताया जा रहा है कि ऐसे वाहनों को कई बार आपत्तिजनक जगहों पर भी देखा गया है। इससे साफ यह भी हो रहा है कि ऐसे वाहनों की आड़ में साईलेंट क्राईम होने की संभावना से भी इंकार नही किया जा सकता है। लेकिन इन सब पर कार्रवाई करना तो दूर बताया जा रहा है कि धड़ाधड़ टेंडर पर वाहन रखें जा रहे है। चिरेका में अर्थात चित्तरंजन रेल नगरी में महाप्रबंधक का पद सबसे बड़ा पद होता हैै। फिलहाल इस पद के लिए सरकारी या रेलवे की ओर से लगभग साढ़े 6 लाख रूपए कीमत की मारूती सियाज वाहन उपलब्ध कराए गए हंै। जबकि अतिविश्वसनीय सूत्रों के हवाले से खबर है कि दूसरी ओर चिरेका में अंकाउंट्स विभाग के लिए लगभग 14 लाख रूपए की होंड़ा सिटी सन रूफ निजी कार सरकारी टेंडर पर उपलब्ध कराई गई है। सूत्रों की माने तो ंटेंडर प्राप्त ऐसे वाहन मालिक लेखा विभाग के अधिकारियों को खुश करने के लिए कीमती वाहन मुहैया कराते रहे है क्योंकि इस विभाग से बिल भी पास कराना रहता है। एक सप्ताह भी नहीं हुआ है एकाउंट्स विभाग में उक्त कीमती वाहन मुहैया कराया गया है। सरकारी पैसे का दुरपयोग माना जा रहा है। लोगों का कहना है कि पता नहीं महाप्रबंधक महोदय को यह सब ज्ञात है कि नहीं। अब यह प्रश्न खंड़ा हो रहा है कि सरकारी गाड़ी में पहले अम्बेसडर लगाया जाता था। अभी इंडगो, सूमो या दूसरी गाड़ी हो सकती है लेकिन लग्जरी वाहन नहीं है। लग्जरी वाहन जीएम के पास हो सकती है लेकिन कनीय अधिकारी जीएम के बराबरी करने लगे। पूरे मामले में जब चिरेका प्रशासन का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो मामले को लेकर चिरेका प्रवक्ता मंतार सिंह ने कहा कि एकाउंट्स विभाग में लग्जरी गाड़ी लगाने की खबर है विस्तार से जानकारी प्राप्त कर आगे आपको बतायी जाएगी।
अब देखना दिलचस्प होगा कि चिरेका अपने ही विभाग पर क्या कोई कदम उठायेगा। भारतटीवीडाॅटन्यूज। रिपोर्ट :PANKAJ