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नियमों के बावजूद आज भी खुलेआम सड़क किनारे काटे औऱ बेचे जा रहे है, मांस, मछली, मुर्गे

प्रशाशनिक उदासीनता से आज भी शहर को नही मिला बूचड़खाना

BHARATTV.NEWS,।मिहिजाम।पंकज। जिलेभर के हर नगर, कस्बा व गांव में सड़क किनारे मांस की दुकानें जगह-जगह खुली देखी जा सकती है। जानवरो का लटकता हुआ मांस चारों तरफ मांस के फैले हुए टुकड़े व मांस के टुकड़ों पर आवारा कुत्तों का झपटना यह नजारा अब आम हो गया है। शाकाहारी लोग इन मांस दुकानों के चलते परेशानी उठाते हैं। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि खुलेआम मांस की दुकानों को बन्द कराया जाय। औऱ निर्दिष्ट स्थान पर बूचड़खाना खोला जाए। क्षेत्र में बूचड़खाना नही रहने से जहां तहां खुलेआम मांस काटे औऱ बेचे जा रहे है। इससे सड़क मार्ग से गुजरने वाले लोगों खासकर बच्चों पर इसका प्रतिकूल असर हो रहा है। बच्चों में हिंसक प्रवृति ज्यादा देखने को मिल रही है। जिले भर में मीट के दुकानों के आस पास से निकलना लोगों के लिए मुश्किल का सबब बनता जा रहा है। जिसके चलते कस्बे के शाकाहारी लोगों का जीवन नारकीय होता जा रहा है। मांस की दुकानों के पास से होकर गुजरने वाले छोटे-छोटे बच्चों की मनोदशा खुलेआम यह नजारा देखकर विचलित हो जाती है।
पूर्व की रघुवर सरकार ने इस दिशा में प्रयास किया था कि सड़क किनारे मांस आदि खुले में नही कटे जाए, इसके लिए बूचड़खाना खोलने का लाइसेन्स देने की भी पहल की गई थीं लेकिन बूचड़खाने के लाइसेंस प्राप्त करने के लंबे और पेंचीदे प्रावधानों ने सब ढाक के तीन पात ही कर दिया। प्रयास धरा का धरा रह गया। सरकार व प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद भी क्षेत्र के स्टेशन रोड, एनएच419ए, हटिया, कृष्णनगर, थाना मोड़, एक नम्बर गेट, आदि जगहों पर आज भी अवैध रूप से संचालित मांस व्यापारियों की भरमार है। इन मार्ग पर खुलेआम बकरे, मुर्गे व मछलियां काटी जा रही है। मांस की दुकानो के सामने से गुजरने वाले बच्चे भी सहम जाते है। साफ सफाई की कमी से तेज दुर्गन्ध निकलती है। जिसके चलते आम लोगो को परेशानी हो रही है। महिलाएं नाक बंद करके दुकानों के सामने से गुजरती है। शाकाहारी लोगो का तो और बुरा हाल है। अहले सुबह से ही यहां बकरे मुर्गे की कराहने की आवाज़ से खुले में मांस की बिक्री देख मन विचलित हो जाता है। भले ही ये कुछ लोगों के लिए स्वादिष्ट व्यंजन व स्वाद का साधन हो लेकिन अधिकतर लोगों का खुले में लटकता मांस का लोथड़ा देख मन विचलित हो जाता है। 
रंभा देवी, गुलाबो देवी आदि का कहना है कि मांस बेचने वाले भी अपनी मनमानी चला रहे है। मार्ग में मनमाने ढंग से कही भी अपनी दुकान सजाकर बैठ जाते है। जिससे खुले में रखे मांस की दुर्गंध से आस पास के दुकानदारों का भी जीना दुर्भर हो गया है। प्रशासन के ढुलमुल रवैया के चलते नियमों को ताक में रखकर खुलेआम मांस की धड़ल्ले से बिक्री कर रहे है।
प्रशासन की माने तो खुले में जानवरों को काटना व उनकी बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध है। नियमतः सड़क से दुकान के अंदर की गतिविधियां दिखाई नही देनी चाहिए। पर्दे में रखा जाना चाहिए। मांस के टुखडे खुले में ना फेके जाए। मांस के टुकड़े कपड़े आदि से ढके होने चाहिए। औजारों को विसंक्रमित करने के बाद ही जानवरो को काटा जाना चाहिए। सरकार ने कितने ही कड़े नियम क्यो न बना दिये हो लेकिन उनका खुला उलंघन इन मांस की दुकानों में देखने को आसानी से मिल जाएगा। सड़क के किनारे फेंके गए अवशेष के सड़ने से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। फिर भी जिम्मेदार मौन धारण किये हुए है। प्रशासनिक उदासीनता के चलते मांस बिक्रेता बेरोकटोक खुले में मांस काटकर बेच रहे हैं। लोगों की मांग है कि इन सड़क किनारे मांस की दुकानों को बंद कराया जाय। इसके लिए नियमों का पालन कराया जाए। नगर परिषद मिहिजाम के कार्यपालक पदाधिकारी कामदेव दास ने कहा कि सड़क किनारे मांस, मछली, मुर्गे खुलेआम जो भी बेच रहे है या काट रहे है, वे नियमों का पालन करें अन्यथा कभी भी उनपर विधिवत कार्रवाई हो सकती है।