उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद साहित्य के धनी “धनपत राय” के जयंती पर विशेष कविता
“दो बैलों की कथा “और
“पूस की रात “में!
” गुलामी” में घुटन है औ
“दरिद्रता”की बात में !!
“सोजे वतन “की चिंगारी से
धधकती ज्वाला रात में !
साहित्य में ऐसी कलम चली
फेली प्रकाश अंधेरी रात में!!
प्रेमचंद सा कोई नहीं
साहित्य के रचनाकार !
हिंदी उर्दू फारसी ज्ञाता
भारतीय साहित्य से है सरोकार!!
” पंच परमेश्वर “में दोस्ती नहीं
“एक आंच की कसर”है !
“नैराश्य “जीवन की यह लीला
“उद्धार” जीवन का कठिन सफर है!!

” विजय” मिली नहीं दरिद्रता से
भरपूर “कौशल” था जीवन में!
फिर भी अधूरा रह गया
“मंगलसूत्र “के सफर जीवन में!!
” आनंदी “जिसकी माता हो
“अजायबलाल “के लाल !
वो “मुंशी प्रेमचंद” ही है
साहित्य जगत के “धनपतलाल”!!
“लागान” देकर लिखा “लागान” विद्वता की वो बेमिसाल पहचान! “शरद चंद्र “ने उपाधि दी है उपन्यास सम्राट की यही निशान !!
**जन्मे धनपत 31 जुलाई 1880
‘लहमी’ गांव के प्रेमी मुंशी ! 8अक्टूबर 1936को वे यहां
छोड़ कर गए साहित्य के वंशी !!
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