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दुर्लभ मानव शरीर ही ईश्वर प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन: ॠचा


BHARATTV.NEWS;CHITRA: विंध्याचल की अंतरराष्ट्रीय राम कथा वाचिका ॠचा मिश्रा ने कहा कि मन कर्म और वचन से चतुराई छोड़ें तभी ईश्वर की प्राप्ति संभव है। सोमवार की रात महायज्ञ के अवसर पर चितरा में यह बातें उन्होंने कही। कहा कि इस दुर्लभ शरीर का इस्तेमाल राम नाम में लगाकर जीवन मरण के बंधन से मुक्त हो सकते हैं।


इसके पूर्व रासलीला मंडली ने महाभारत युद्ध का मंचन किया। कार्यक्रम के अगले चरण में वृंदावन के विनोद शर्मा की टीम ने झांकी के साथ भजन की प्रस्तुति दी। पश्चिम बंगाल के वरुण दास बाउल संगीत रात्रि के अंतिम प्रहर तक प्रस्तुत करते रहे। प्रवचन में सुश्री ॠचा ने कहा कि मन कर्म और वचन से चतुराई छोड़नी होगी। यह सब ईश्वर प्राप्ति के मार्ग के रोड़े हैं। कहा कि मनुष्य का शरीर धारण करने के लिए देवता भी तरसते हैं। कारण शरीर से हम सब कुछ कर सकते हैं। राम नाम जप करना, तप व साधना का माध्यम यही मानव तन है। राम नाम का अवलंबन लेकर हम जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो सकते हैं। उनका नाम इस गृहस्थ आश्रम में लेना कठिन है । लेकिन किसी भी तरह व किसी भी वक्त लिया जाए। केवल राम नाम रूपी नैया हमें संसार रूपी भवसागर से बेड़ा पार लगाने में सक्षम है। आगे कहा कि लोग अशांत हो गए हैं। आपसी प्रेम लोप हो रहा है। ऐसी स्थिति में राम के नाम से ही मन को शांति और तन को विश्राम मिलता है। राम नाम से दिल में जमी ईर्ष्या द्वेष अहंकार आदि मैल दूर चला जाता है। हृदय विकार रहित होने से हमारे हृदय में उनका वास होता है। साधारण नेत्र से नहीं, अंतर्दृष्टि से उन्हें हम देख सकते हैं। जिन्होंने उन्हें दर्शन कर लिया। मनुष्य शरीर धारण करने का मकसद पूरा हो जाता है। वह हमें परमधाम ले जाते हैं। जानकारी हो कि भक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रमों का आनंद बड़ी संख्या में दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने रात्रि के अंतिम प्रहर तक लिया। समापन के बाद विशाल पंडाल में ही डेरा डाले रहे। सूर्योदय होने पर कार्यक्रम स्थल से सभी अपने गांव की ओर प्रस्थान कर गए।