Bharat TV News | "The Right Path to Journalism"

"सच वही जो हम दिखाएं"

”टीआरपी के रेस में पत्रकारिता का गिरता स्तर”

धर्मनिरपेक्ष राज्य में सभी धर्मों का समान रूप से आदर होता है

BHARATTV.NEWS, जामताड़ा : ऑल इंडिया मोमिन कॉन्फ्रेंस के झारखंड प्रदेश महासचिव मो जैनुल अंसारी कहते हैं टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट ऐसा टूल है जो टीवी चैनलों की लोकप्रियता को दर्शाता है। कितने लोग चैनल को देख रहे हैं पसंद कर रहे हैं इसे मापने का पैमाना का नाम टीआरपी है।अधिकतर मीडिया चैनल अपने डिबेट को लोकप्रियता बनाने एवं अधिक से अधिक लोगों तक पसंद कराने हेतु इस प्रकार के डिबेट को अधिक से अधिक चलाया जाता है जिससे चैनल को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो।

टीवी चैनल पर बैठे एक संत तथा एक मौलाना के धर्म युद्ध को इस प्रकार तैयार किया जाता है ताकि हर एक धर्म समुदाय के व्यक्ति इसे अनुभव करें कि मेरा धर्म खतरे में है। एक मौलाना अपने धर्म रक्षा के लिए व्यस्त रहते हैं जबकि संत अपने सनातन धर्म को सबसे ऊपर साबित करने के लिए व्यस्त रहते है। परंतु एंकर फुटबॉल खेल के मैदान में रेफरी की भूमिका में नजर आता है जो पूरा दो सम्प्रदाय के खेल का आनंद लेता हुआ मालूम पड़ता है । देश के अधिक से अधिक लोग आज भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं की मीडिया द्वारा जो कहा जाता है वह 100% सच है लेकिन वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में अगर गहन चिंतन किया जाए तो मीडिया की निष्पक्षता पर कई सवाल खड़े हुए हैं। एक समय ऐसा भी था जब मीडिया लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की भूमिका में सच को जनता ओं के बीच रखते हुए अपनी विश्वसनीयता को कायम रखते थे परंतु वर्तमान समय में मीडिया में राजनीतिक गुलामी का संकेत दिख रहा ।हिंदुस्तान-पाकिस्तान, मंदिर मस्जिद, राम- रहीम , दो धर्म विशेष एक ऐसा मुद्दा है जिसके माध्यम से एक मोटी कमाई है। चूंकि भारतीय सामाजिक व्यवस्था में धर्म उच्च स्थान पर है एवं अधिक से अधिक लोग अपनी धर्म की रक्षा हेतु इस प्रकार के डिबेट में बड़ा ही दिलचस्पी लेता है। अतः टीवी चैनलों के द्वारा फैलाया गया भ्रामक खबरें, आपवाह से आधारित खबरें, सांप्रदायिकता की डिबेट पर ज्यादा दिलचस्पी न लेते हुए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना हम सभी भारतीयों के लिए कर्तव्य है चूंकि इस धर्मनिरपेक्ष राज्य में सभी धर्मों का समान रूप से आदर होता है एवं अपने अपने हिसाब से अपने धर्म को मानने का पूर्ण रूप से आजादी है। देश के सबसे ज्वलंत मुद्दा बेरोजगारी पर कोई टिप्पणी नहीं , दिन दिन बढ़ता हुआ महंगाई पर कोई डिबेट नहीं, गिरता हुआ शिक्षा का स्तर पर कोई डिबेट नहीं, जनसंख्या वृद्धि पर कोई डिबेट नहीं, कमजोर होता हुआ अर्थव्यवस्था पर कोई डिबेट नहीं डिबेट है तो बस यही दिन-रात धार्मिक । मीडिया जब सरकार से सीधा सवाल न करते हुए सरकार के गोद में समा जाए तो फिर अस्तित्व का गिरना स्वाभाविक है ! REPORT. M RAHMANI