कोरोनाकाल में स्कूली बच्चों के अभिभावक सबसे अधिक हैं परेशान,नहीं थम रही प्राइवेट स्कूलों की मनमानी
ओम प्रकाश शर्मा, जामताड़ा/आसनसोल। चित्तरंजन क्षेत्र के प्राइवेट स्कूलों के मनमानी रवैये से मिहिजाम तथा आसपास क्षेत्र के स्कूली बच्चों के अभिभावक इन दिनों खासा हैं। री-एडमिशन के नाम पर हर साल हजारों रूपये अभिभावकों के जेब से ढीली करने वाले स्कूल प्रबंधन इस करोनाकाल जैसे हालत में भी अभिभावकों बख्शने के मूड में नहीं है। अभिभावकों का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना मानों कोई अपराध कर लिया हो। हर महीने 3 हजार करके ट्यूशन फीस, फिर री एडमिशन आदि लेकर कुल 4 महीनों में लगभग 20 हजार से उपर का हिसाब मांगा जा रहा है जो मध्यमवर्गीय परिवार के लिए असान नहीं है। काम धंधा चैपट है। एक तो पहले ही एडमिशन के समय 20 से 25 हजार रूपये डोनेशन के रूप में ले लिया जाता है उपर से 5 हजार रूपये प्रतिवर्ष री एडमिशन के नाम पर वसूले जाते हैं। यह शिक्षा का पूरी तरह से व्यापारीकरण है। इसके पीछे कोई भी नेता, मंत्री आवाज नहीं उठाते हैं। आर्थिक तंगी का मार झेल रहे अभिभावकों का कहना है कि री एडमिशन के नाम पर जो पैसा हर साल वसूली जाती है उससे पूरी तरह से छूटकारा दिया जाय अनयथा वृहतर आंदोलन होगा लेकिन स्कूल प्रबंधन अभिभावकों की यह बात पचा नहीं पा रही है। रूकरूक कर स्कूलों में अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन आमने सामने होने के लिए बाध्य हो रहे हैं। कोई स्कूल गेट के बाहर शोर मचा रहा है तो प्रबंधन ताला मारकर स्कूल के भीतर सीमट गया है। इतना होने पर भी आसपास के जिम्मेदार नेता मंत्री सामने नहीं आ रहे हैं।

चिरेका के इंटक नेता इंद्रजीत सिंह ने कहा कि स्कूलों का चल रहा मनमानी
इस सबंध में चिरेका के इंटक नेता इंद्रजीत सिंह ने कहा कि स्कूलों का मनमानी हमलोग चलने नहीं देंगे। सभी प्रकार के फीस में स्कूलों को रियायत देना होगा। री एडमिशन के नाम पर वसूली कर व्यापार करनेवाले स्कूलों की मनमानी बंद करेंगे। ये स्कूल शिक्षकों का वेतन भी समय पर नहीं देते हैं। हमलोग इन स्कूलों के खिलाफ जल्द ही जिलाशासक से मिलकर इसका स्थायी समाधान का प्रयास करेंगे।
इस सबंध में चिरेका के वरिष्ट जनसम्पर्क पदाधिकारी मंतार सिंह ने बताया
इस सबंध में चिरेका के वरिष्ट जनसम्पर्क पदाधिकारी मंतार सिंह ने बताया कि अभी तक वहां अभिभावकों का नेतृत्व करनेवाला वहां कोई प्रतिनिधि नहीं है। ये जब तक तय नहीं होता तबतक कुछ कहा नहीं जा सकता। बाकि पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा का जो कानून है वह हर जगह लागू होगा।

क्वालिटी एजुकेशन नहीं बल्कि फोकसबाजी है यहां और कुछ नहीं-उमेश मंडल
वाइस वार्डेन सह तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ट नेता उमेश मंडल ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यहां के प्राइवेट स्कूलों में लूट मची हुई है। अभिभावकों की खून पसीने की कमाई को डोनेषन, रिएडमिशन, मेेनेटेनेंस आदि के नाम पर चूसा जा रहा है और जनता बेहाल है। फोकसबाजी पर स्कूल चल रहा है। विभिन्न तरह के कार्यक्रम के नाम पर अभिभावकों से हजारों खर्च करवाया जाता है। क्वालिटी एजूकेशन अब नहीं रहा। सरकार के जमीन पर बना यहां के प्राइवेट स्कूल सब जनता से ही लूटने में लगी है। जो विल्डिंग सब बना है उसमें भी छात्रों से डेबलमेंट फीस लिया जाता है। चैरिटी के नाम पर स्कूल चल रहा है। अब चैरिटी रहा कहां। इन स्कूलों को तो चैरिटी के नाम पर फंड भी मुहैया होता है। गरीब बच्चों को शिक्षा के कानून के तहत यहां तय मानकों के अनुसार नहीं पढ़ाया जाता है। एक तरह से कहा जाय तो शिक्षा माफिया का राज चल रहा है। री-एडमिशन फीस लेना सरासर गलत है। हम उसका विरोध करते हैं। अभिभावकों से स्कूल प्रबंधन बात करने से कतराती है। आॅनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था असफल है। बच्चे इसके लिए सही नहीं है। अभिभावकों को इसके लिए मोबाइल खरीदना पड़ रहा है। जिसके दो बच्चे हैं उन्हें दो मोबाइल लाकर अभिभावक कहां से दें। जो आनलाइन पढ़ रहे हैं वहां नेटवर्क की समस्या, अभिभावकों के लिए बोझ साबित हो रहा है। घर में बच्चे स्कूली किताब पढ़ें तो बेहतर है।















