मिहिजाम। 300 साल पहले मुगल साम्राज्य में हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह ने अपने परिवार सहित कुर्बानी दी थी। इसी की ध्यान में रखकर बुधवार से मिहिजाम बाबा नानक द्वार गुरुद्वारे मर जप जी साहब का पाठ शुरू हुआ। जो 27 दिसम्बर तक चलेगा। गुरुवार कमेटी की ओर से सरदार सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि इन्ही 7 दिनों में गुरु गोबिंद सिंह जी का पूरा परिवार शहीद हो गया था। गुरु गोविंद सिंह के साहबजादे अजित सिंह, फतेह सिंह, जोरावर सिंह, जुझहर सिंह को सहादत हुई थी। 21 दिसंबर को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने परिवार सहित श्री आनंद पुर साहिब का किला छोड़ा था। 22 दिसंबर को गुरु साहिब अपने दोनों बड़े पुत्रों सहित चमकौर के मैदान में पहुंचे और गुरु साहिब की माता और छोटे दोनों साहिबजादों को गंगू नामक व्यक्ति जो कभी गुरु घर का रसोइया था उन्हें अपने साथ अपने घर ले आया। चमकौर की जंग शुरू हुई और दुश्मनों से जूझते हुए गुरु साहिब के बड़े साहिबजादे अजीत सिंह उम्र 17 वर्ष और छोटे साहिबजादे जुझार सिंह उम्र 14 वर्ष अपने 11 अन्य साथियों सहित मजहब और मुल्क की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हुए। 23 दिसंबर को गुरु साहिब की माता गुजर कौर और दोनों छोटे साहिबजादे गंगू के द्वारा गहने एवं अन्य सामान चोरी करने के बाद तीनों को मुखबरी कर मोरिंडा के चौधरी गनी खान और मनी खान के हाथों गिरफ्तार करवा दिया गया और गुरु साहिब को अन्य साथियों की बात मानते हुए चमकौर छोड़ना पड़ा। 24 दिसंबर
को तीनों को सरहिंद पहुंचाया गया और वहां ठंडे बुर्ज में नजरबंद किया गया। 25 और 26 दिसंबर को छोटे साहिबजादों को नवाब वजीर खान की अदालत में पेश किया गया और उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए लालच दिया गया। 27 दिसंबर को साहिबजादा जोरावर सिंह उम्र 8 वर्ष और साहिबजादा फतेह सिंह उम्र 6 वर्ष को तमाम जुल्म के बाद जिंदा दीवार में चुनवा कर गला रेत दिया गया। यह खबर सुनते ही माता गुजर कौर ने अपने साँस त्याग दिए। लेकिन अफसोस है कि भारत मे उन शहीदों को भुला दिया जा रहा है। सिंह ने मांग किया कि असल मे इन बच्चों के सहादत को बाल दिवस घोषित किया जाना चाहिए।














