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गया में रबी अभियान 2024-25 और कृषि यांत्रिकीकरण मेला का शुभारंभ, दलहन-तेलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य

BHARATTV.NEWS: ओम प्रकाश शर्मा, गया, 11 नवंबर 2024: भूमि संरक्षण निदेशक सुदामा महतो द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ गया जिला में रबी अभियान 2024-25 और कृषि यांत्रिकीकरण मेला का शुभारंभ किया गया। इस अभियान के तहत दलहन और तेलहन फसलों के क्षेत्र विस्तार, बीज प्रतिस्थापन दर में वृद्धि और उत्पादन में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी गई। कृषि विभाग द्वारा जिले में 44904 हेक्टेयर में दलहन और 9259 हेक्टेयर में तेलहन फसल आच्छादन का लक्ष्य रखा गया है, जिससे किसानों को आर्थिक मजबूती मिलेगी।

गया जिले की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए रबी कार्यशाला में उत्कृष्ट कृषि कार्यों के लिए जिले के 5 किसानों, 5 किसान सलाहकारों, 4 कृषि समन्वयकों और 2 प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को सम्मानित किया गया। सम्मानित किसानों में गुरारु के मो. अनिस मियाँ, विनीत कुमार रंजन, आषुतोष कुमार, रंजन कुमार और जितेंद्र तिवारी शामिल हैं, जिन्होंने तिल, मिलेट्स, केला, मक्का और समेकित खेती में योगदान दिया है।

जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि रबी सीजन में गेहूँ का 105148 हेक्टेयर में, दलहन का 44904 हेक्टेयर में और तेलहन का 9259 हेक्टेयर में उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बीज वितरण योजना के अंतर्गत गेहूँ के 17735 क्विंटल, दलहन के 9384 क्विंटल और राई/सरसों के 128.50 क्विंटल बीज वितरण का लक्ष्य तय किया गया है। इन योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए प्रमाणित बीजों को अनुदानित दर पर उपलब्ध कराया जाएगा।

कृषि यांत्रिकीकरण योजना के तहत 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान का प्रावधान है, जिसमें किसानों को विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं। फसल अवशेष प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए स्ट्रा रीपर, स्ट्रा बेलर और सुपर सीडर जैसे यंत्रों पर अनुदान का प्रावधान रखा गया है। इस वर्ष इन यंत्रों के लिए 7573 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसमें से 3031 किसानों को अनुदान स्वीकृति पत्र जारी कर दिया गया है और 1941 किसानों को अनुदान राशि के रूप में 2,32,54,686 रुपये का भुगतान हो चुका है।

जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से 779 वर्मी कम्पोस्ट इकाइयां और 4 बायो/गोबर गैस प्लांट की स्थापना हेतु सभी प्रखंडों को लक्ष्य दिया गया है। जैविक खेती में कार्बनिक खाद, हरित खाद और जैव उर्वरकों का उपयोग किया जाता है। साथ ही, पौध संरक्षण में बायोपेस्टीसाइड का इस्तेमाल कर खेती की लागत को कम करने और मृदा की उर्वरता को बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है।

रबी कार्यशाला में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ जिला मत्स्य प्रसार पदाधिकारी, भूमि संरक्षण निदेशक, उद्यान सहायक निदेशक और अन्य अधिकारी, किसान सलाहकार आदि उपस्थित थे, जिन्होंने किसानों को नई तकनीकों से अवगत कराया।