
BHARATTV.NEWS: मिहिजाम। झारखंड के उत्तर-पूर्व में छोटानागपुर पठार के निचले हिस्से में बसा जामताड़ा जिले में लगभग 5 किलोमीटर तक फैले केलाही पर्वत शृंखला पर एक विशालकाय चट्टान शदियों से बिना किसी सहारे खड़ा है। जो बरबस ही प्रकृति प्रेमियों और चट्टानों के बारे में जानकारी रखने वालों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। जमीन से करीब एक सौ फीट ऊपर केलाही पर्वतमाला की चोटी पर लगभग 10 फिट ऊंचे और 6 फिट की गोलाई लिए इस शिलाखण्ड के नजदीक जब आप पहुंचेंगे तो ऊपर से नीचे की ओर इसके आस पास का क्षेत्र आपको इस बात से भयभीत कर देगा कि कहीं ये शिलाखंड पर्वत की चोटी से लुढ़ककर गिर जाए तो नीचे काफी जान माल का नुकसान हो सकता है। क्योंकि पहाड़ की तराई में बच्चों के कई स्कूल, मंदिर, और लोगों के घर भी मौजूद है। काफी कुछ भूस्खलन जैसा।
लेकिन स्थानीय ग्रामीण गोविंद मण्डल बताते है कि प्रकृति के संतुलन का ऐसा नजारा बहुत कम देखने को मिलता है कि देखने वाले न सिर्फ हैरान हो जाये बल्कि अपने दांतों तले उंगली दबा जाए। पर्वत की चोटी पर जिस स्थान पर ये शिलाखंड खड़ा है वहां कोई भी इंसान या जीव ज्यादा देर तक सीधे खड़ा नही रह सकता है। क्योंकि ये जगह बिल्कुल पर्वतमाला की ढलान पर है। लेकिन इस शिलाखंड को कुदरत ने पर्वत शृंखला से ऐसा चिपका दिया है कि अच्छे अच्छे वास्तुकार भी सोच में पड़ जाए। प्रकृति के इन अदभुद दृश्य को देखने हर साल दूर दराज से लोग आते है औऱ अपने कैमरे में इसकी तस्वीरों को यादगार के तौर पर संजो लेते है। आस पास के छात्रों को लेकर भी कई शिक्षक इस अदभुद नजारे के बारे में, पृथ्वी, पर्वत, चट्टान के गुरुत्वाकर्षण और संतुलन के बारे में जानकारी जुटाने यहां आते है। कुछ वर्षों पूर्व तक यहां पत्थर माफियाओं का राज था, पत्थरों का उत्खनन किया जाता था। लेकिन एनजीटी के गठन के बाद से पत्थर उत्खनन बंद कर दिया गया। पत्थर उत्खनन के कारण इस पर्वत शृंखला को काफी नुकसान भी झेलना पड़ा। झारखंड के पर्यटन विभाग इस क्षेत्र को विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा दे सकती है। लेकिन दूरदर्शिता के अभाव में यह सुंदर पर्वत शृंखला आज भी उपेक्षा का दंश झेल रही है।
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