BHARATTV.NEWS;CHITRA: निर्मल हृदय में प्रभु का वास होता है। गुरु सभी कार्यों के लिए सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं । ईमानदारी का बहुत अधिक महत्व है । यह बातें चित्रकूट के रामचरित मानस के ज्ञाता कामदा पीठाधीश्वर राजीव लोचन दास जी महाराज ने चितरा में हो रहे रूद्र महायज्ञ में शनिवार की रात कहीं। वहीं रासलीला मंडली ने माखन चोरी प्रसंग का मंचन किया।

उन्होंने कहा कि संत महात्मा गुरु लोगों में छल प्रपंच कपाट आदि दूर कर हृदय को निर्मल बनाते हैं। उसी में प्रभु का वास होता है। जीवन में गुरु का काफी महत्व है। इस भवसागर से जीवो को बेड़ा पार लगाने का मार्ग वही प्रशस्त करते हैं। हजारों राजा सीता स्वयंवर में शिव धनुष भंग कर पाने में नाकाम रहे। कारण राजाओं के साथ उनके गुरु नहीं थे। इतना ही नहीं वे अहंकारी भी थे। उन्हें परमात्मा पर नहीं बल्कि अपनी शक्ति पर भरोसा था। वहीं एक 15 वर्षीय युवक राम ने गुरु वशिष्ठ के दिशा निर्देशन में आसानी से उसे तोड़ दिया था। शिव धनुष के भंग करने के पीछे गुरु वशिष्ठ का काफी योगदान रहा है। प्रवचन में उन्होंने आगे कहा कि हम सत्संग में जाएं और फिर कुसंग में चले जाएं तो उसका कोई असर जीवन में नहीं पड़ता है। हमारी संगति अच्छी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य ईमानदारी पूर्वक करें। हम प्रभु का विरोध ही करें तो ईमानदारी पूर्वक रावण के जैसा। रावण को भी राम प्राप्त हुए। अगर हम परमात्मा के प्रति समर्पित नहीं हो पा रहे हैं। लेकिन जो कार्य करते हैं, उसे ईमानदारी से करते हैं। इससे भी परमात्मा की प्राप्ति होती है। उन्होंने यह भी कहा कि पूजा के दौरान अगरबत्ती जलाने से सर्वथा दूर रहें। बांस शिव का प्रतीक होते हैं। बांस जलाने से जीवन में संचित पुण्य नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा भी उन्होंने कई बातों पर प्रकाश डाला जिनका जीवन में अनुपालन करना आवश्यक है।
माखन चोरी की दी प्रस्तुति: वृंदावन के भागवत जी शर्मा के निर्देशन में कलाकारों ने माखन चोरी की जीवंत प्रस्तुति दी। कलाकारों की प्रस्तुति ऐसी रही कि साक्षात कृष्ण ग्वाल बाल शाखाओं के साथ रंगमंच पर माखन मिश्री आदि की चोरी कर रहे हों।






