नई दिल्ली। टिड्डियों के अटैक की आशंका को देखते हुए, कृषि मंत्रालय ने मई 2020 में टिड्डियों के प्रजनन को रोकने के लिए कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के लिए ब्रिटेन की मेसर्स माइक्रोनके साथ दो उन्नत एमआई-17 हेलीकॉप्टरों के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं। कोविड-19 महामारी के कारण, ब्रिटेन की यह कंपनी सिस्टम एकीकरण और परीक्षण के लिए सितंबर 2020के बाद से ही भारतीय वायुसेना के लिए उन्नत किट का निर्माण और आपूर्ति कर पाएगी। इस बीच, मई के अंतिम सप्ताह से टिड्डियों का एक अनायास हमला शुरू हुआ और यह कई राज्यों में तेजी से फैल गया।

मेसर्स माइक्रोन द्वारा संशोधन किट के प्रावधान में होने वाली देरी को ध्यान में रखते हुए, भारतीय वायु सेना ने चंडीगढ़ के अपने नंबर 3 बेस रिपेयर डिपो में स्थित एमआई-17हेलीकॉप्टर के लिए स्वदेशी रूप से नियंत्रण प्रणाली (एएलसीएस) को डिजाइन और विकसित करने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया। सभी स्वदेशी घटकों का उपयोग करते हुए, एमआई-17 हेलीकॉप्टर के बाहरी ट्रूसीस के दोनों ओर लगे नोजलों के माध्यम से कीटनाशकों का सफलतापूर्वक छिड़काव करने में सफलता हासिल की गई। इस उद्देश्य के लिए उपयोग किये जाने वाले नोजल व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नोजल और सीएसआईओ, चंडीगढ़ द्वारा विकसित नोजल का मिश्रित रूप हैं। इस कीटनाशक मैलाथियॉन को उपयुक्त मात्रा में हेलीकॉप्टर के अंदर लगे 800 लीटर क्षमता के आंतरिक सहायक टैंक में भरा जाएगा और दवाबयुक्त हवा का उपयोग करके नोजल के माध्यम से इलैक्ट्रिक पंप से इसका छिड़काव किया जाएगा, जिससे एक बार के अभियान में लगभग 750 हेक्टेयर के संक्रमित क्षेत्र में छिड़काव करने में लगभग 40 मिनट का समय लगेगा।
विमान एयरक्राफ्ट सिस्टम और परीक्षण प्रतिष्ठान, बैंगलोर के परीक्षण पायलटों और इंजीनियरों के एक दल ने उन्नत एमआई-17 हेलीकॉप्टर के माध्यम से एएलसीएसका सफलतापूर्वक जमीनी और हवाई परीक्षण किया। इस प्रणाली को टिड्डी नियंत्रण अभियान की रोकथाम के तहत मैलाथियॉन के साथ उपयोग के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है। एक स्वदेशी रूप से विकसित प्रणाली होने के नाते, एएलसीएस के माध्यम सेइसकी देश में ही मरम्मत, भविष्य में इसे उन्नत करने की क्षमता, विदेशी मुद्रा की बचत के साथ-साथ देश को विमानन से संबंधित तकनीक में आत्म-निर्भर बनाने में मदद मिलेगी।













