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“सीबीआई से बचने के प्रयास में नामी दिल के डॉक्टर ने गवाए 4 करोड़ 40 लाख रुपये, 6 दिनों में ठगों के खाते में हुए ट्रांसफर”

ओम प्रकाश शर्मा: गया /बिहार : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष तथा एम्स (अभय इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस) के निदेशक डॉ. अभय नारायण राय के सात बैंक खातों से साइबर अपराधियों द्वारा कुल 4.40 करोड़ रुपए की राशि ठगी गई है, जो बिहार में अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी की घटना मानी जा रही है। यह राशि 123 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर की गई। दिल्ली और आंध्र प्रदेश के साइबर अपराधियों ने इस अपराध को अंजाम दिया। मामले की जांच के लिए सिटी एसपी के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कुछ संदिग्धों के खातों को फ्रीज करवा दिया है। इस घटना ने साइबर सुरक्षा की महत्वपूर्णता को एक बार फिर रेखांकित किया है, जिससे लोगों को अपनी वित्तीय सुरक्षा के प्रति और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।

कैसे हुए घटना :29 जुलाई को, डॉ. एएन राय के मोबाइल पर एक कॉल आया, जो उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती साबित हुई। फोन करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम से मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज हुआ है। डर के मारे, डॉक्टर ने फोन पर दी गई हर जानकारी को सच मान लिया।
डॉ. राय को बताया गया कि अगर वे गिरफ्तारी से बचना चाहते हैं, तो उन्हें तुरंत अपने बैंक खातों से पैसे साइबर कोर्ट द्वारा निर्दिष्ट खातों में ट्रांसफर करने होंगे। इस झूठी धमकी से घबराकर, उन्होंने 6 दिनों में कुल 4 करोड़ 40 लाख रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिए।6 दिन बाद, जब ठगों का फोन नंबर बंद मिलने लगा, तब डॉ. राय को अहसास हुआ कि उनके साथ ठगी हो गई है। उन्होंने तुरंत गया साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई, जहां उनके मामले को गंभीरता से लिया गया।

IMA भारत में चिकित्सकों का सबसे बड़ा स्वैच्छिक संगठन है, जो देश भर के डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करता है और चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर काम करता है। इस मामले में, IMA के बिहार प्रदेश अध्यक्ष के खाते से बड़ी राशि की ठगी हुई है, जो न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि संगठनात्मक स्तर पर भी एक गंभीर मुद्दा है। साइबर सुरक्षा की दृष्टि से, यह घटना व्यक्तिगत और संस्थागत स्तर पर डिजिटल सुरक्षा को प्राथमिकता देने, नियमित रूप से मजबूत पासवर्ड बदलने, बहु-स्तरीय प्रमाणीकरण का उपयोग करने, संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखने, फ़िशिंग और स्कैम से सावधान रहने, डिजिटल साक्षरता बढ़ाने, त्वरित कार्रवाई करने, संस्थागत स्तर पर अतिरिक्त सुरक्षा उपाय अपनाने, कानूनी जागरूकता रखने और सामूहिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।