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गुणवत्तापूर्ण पीडब्ल्यूडी सड़क निर्माण में अनियमितता का आरोप: जनसंघर्ष समिति

कार्य शुरू होने के लगभग 2 महीने बाद भी स्थानीय ग्रामीणों को भू अर्जन विभाग से नहीं दिया जा रहा है मुआवजा नोटिस….. इंजीनियर सज्जाद अंसारी

BHARATTV.NEWS: जहां झारखंड सरकार राज्य में सड़कों का जाल बिछा रही है वहीं पथ निर्माण विभाग और संवेदक के मिलीभगत से पीडब्ल्यूडी सड़क चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण में भारी अनियमितता बरती जा रही है । राज्य सरकार द्वारा तय मानक डीपीआर और प्राक्कलन की अनदेखी कर संवेदक दिन रात चांदी काटने में लगे हैं । यह कहानी नहीं बल्कि हकीकत बयां है जिसे धरातल पर कभी भी औचक निरीक्षण कर देखा जा सकता है । यह हकीकत बयां कहानी जिले के नारायणपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत गोविंदपुर साहिबगंज एडीबी पथ के जुम्मन मोड से लोधरिया के बीच लगभग 2 महीने पहले से शुरू होने वाली पीडब्ल्यूडी सड़क चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण की है । विदित हो कि पीडब्ल्यूडी सड़क के लिए संघर्षरत रहे स्थानीय क्षेत्र में गठित सामाजिक संगठन चैनपुर क्षेत्र जनसंघर्ष समिति एवं स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से सड़क की मांग को मजबूती से जनप्रतिनिधि के समक्ष रखा गया । ग्रामीणों की मांग 7 वर्ष पुरानी मांग थी । स्थानीय विधाय और झारखंड राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन ने झारखंड कैबिनेट में इसकी स्वीकृति देते हुए चैनपुर क्षेत्रवासियों को एक बड़ी सौगात दिया । लगभग 12 किलोमीटर बनने वाली सड़क पर सरकार 29 करोड़ रुपये भुगतान करेगी वहीं 12 करोड़ रुपये भू अर्जन , बिजली खंभा , तार शिफ्टिंग , आवासीय मकान, दुकान एवं अन्यान्य भुगतान हेतु अलग से प्राक्कलन में शामिल किया गया है ।

    चैनपुर क्षेत्र जनसंघर्ष समिति के उपाध्यक्ष मोहम्मद शफीक अंसारी ने कहा कि सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्तापूर्ण और तय मानक डीपीआर और प्राक्कलन के मुताबिक काम करने का जो इकरारनामा संवेदक इंटरप्राइजेज धनबाद ने पथ निर्माण विभाग से किए हैं वह धरातल पर नहीं दिख रहा है ।  मोहम्मद शफीक अंसारी ने कहा कि समिति द्वारा सारी समस्याओं और अनियमितताओं को पथ निर्माण विभाग और संवेदक के समक्ष रखे जाने के बाद भी नतीजा शून्य है । उन्होंने कहा कि जनसंघर्ष समिति की निगरानी टीम ने कई बार संवेदक के सहयोगी और सुपरवाइजर तथा पथ निर्माण विभाग से सड़क चौड़ीकरण , मजबूतीकरण कार्य की गुणवत्ता और मानक प्राक्कलन  पर सुधार करने की गुहार लगाई है परंतु इसे नजरअंदाज करते हुए संवेदक काम करते जा रहे हैं । कार्य शुरू होने के साथ ही जब मिट्टी डाली जा रही थी तो जैसे तैसे मिट्टी डाली गई है उसके ऊपर रोलर भी ठीक ढंग से नहीं चलाया गया है । ह्यूम पाइप कल्वर्ट के ऊपर स्लैब नहीं दिया गया है जिससे भारी वाहन गुजरने से  पाइप टूटने की समस्या होने की संभावना बनी रहेगी । मिट्टी के ऊपर डब्ल्यूबीएम भी कम चौड़ाई और मोटाई से बिछाया जा रहा है । डब्ल्यूबीएम और डस्ट का मशीन से मिश्रण भी सही ढंग से नहीं किया जाता है जिसे सड़क पर बिछाने के बाद ही उबड़ खाबड़ रास्ते का माहौल बन जाता है । लोग दिन-रात इसमें गिरते पड़ते अपने काम के लिए आवाजाही करने पर मजबूर हैं । लगभग दर्जनों गांव अंतर्गत भू अर्जन की समस्या है जहां लोगों को अभी तक 50 फीट के बीच अधिग्रहित किए जाने वाले निजी जमीन का नोटिस और मुआवजा की समस्या भी है । इसमें भू अर्जन विभाग , पथ निर्माण विभाग और संवेदक एक दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप लगा रहे हैं । बिजली का झुका हुआ खंभा और तार की शिफ्टिंग भी बिजली विभाग द्वारा नहीं किया गया है । जिससे लोग दिन रात अपनी जान को जोखिम में डालकर सड़क पर आवाजाही करने को मजबूर हैं । जनसंघर्ष समिति द्वारा गठित निगरानी टीम में शामिल इंजीनियर सज्जाद अंसारी और परमेश्वर मंडल ने बताया कि कल्भर्ट में बालू , गिट्टी , सीमेंट की मात्रा और मिलावट में संवेदक द्वारा भारी अनियमितता बरती जा रही है । जहां इसकी मात्रा कम दिया जा रहा है वहीं इसका मिश्रण मशीन की जगह मजदूरों को लगाकर मैनुअल किया जा रहा है । सीमेंट , बालू और गिट्टी के मिश्रण के वक्त कोई भी कनीय अभियंता , सहायक अभियंता , कार्यपालक अभियंता और संवेदक के तकनीकी सहयोगी कार्य स्थल पर मौजूद नहीं रहते हैं । जिससे मजदूर और राजमिस्त्री जैसे-तैसे काम को निकालने में लगे हैं । सड़क पर मिट्टी और डब्ल्यूबीएम बिछाने के बाद जल छिड़काव नियमित नहीं होने से गांव में धूल ही धूल उड़ रही है । जिसका प्रभाव स्थानीय आबादी के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है । संवेदक द्वारा सप्ताह में एक या दो बार ही जल छिड़काव किया जा रहा है । वही डब्ल्यूबीएम के चौड़ाई और मोटाई में भी भारी कमी की जा रही है जिससे सड़क चौड़ीकरण और मजबूतीकरण पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है । कार्य प्रगति के दौरान पथ निर्माण विभाग के कोई भी तकनीकी व्यक्ति स्थल पर मौजूद नहीं रहते हैं । संवेदक और विभाग की मिलीभगत से अगर भूले भटके कनीय अभियंता,  सहायक अभियंता और कार्यपालक अभियंता पीडब्ल्यूडी सड़क तक पहुंचते भी हैं तो चेहरा दिखाकर तुरंत दूसरे कार्य का बहाना बनाकर पुनः वापस लौट जाते हैं । संवेदक द्वारा तकनीकी अनुभवी सुपरवाइजर , सहयोगी वगैरह कार्य देखरेख हेतु नहीं रखा गया है । संवेदक के सभी सहयोगी अनुभवहीन व्यक्ति द्वारा कार्य कार्य देख रेख किया जा रहा है । संवेदक के सहयोगी द्वारा कार्यस्थल पर डीपीआर और प्राक्कलन की प्रति देखने  और समझने हेतु मांगने पर विभाग द्वारा नहीं दिए जाने की बात कह कर चुप हो जाते हैं । कल्भर्ट निर्माण के पहले विभाग के तकनीकी पदाधिकारी द्वारा लेआउट भी नहीं दिया जाता है जिससे इसका साइज भी वास्तविक नहीं बनाया जा रहा है । ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग और संवेदक पीडब्ल्यूडी सड़क निर्माण की गुणवत्ता और तय मानक डीपीआर पर कितने गंभीर हैं । कल्भर्ट में छड़ कम दिया जा रहा है वहीं छड़  की मोटाई और गिनती इसकी प्राक्कलन से भिन्न है । बालू  में मिट्टी की मात्रा की भरपूर मिलावट है जिससे कल्भर्ट फटना , चिड़कना शुरू हो गया है । स्थानीय ग्रामीणों ने जल्द से जल्द चौड़ी और मजबूत सड़क के लिए उच्च अधिकारी को लिखित आवेदन देने की बात कही है । 
   इस मौके पर एहतेशामउल हक , किशोर कुमार , अशरफ आलम , मिथुन मंडल , मकसूद अंसारी , कामेश्वर रजक , डॉक्टर नजीरूद्दीन , मौलाना सलीम केसर , संजय पंडित , अंसारूल हक , महेंद्र मंडल , मौलाना सिराज , इंजीनियर रियाज ,  इंजीनियर शमशेर , इंजीनियर जियाउल हक , दीपक भंडारी , प्रदीप कुमार वर्मा इत्यादि मौजूद थे ।