ओम प्रकाश शर्मा , धनबाद / आसनसोल : झारखंड और पश्चिम बंगाल, भारत के दो पड़ोसी राज्य, लंबे समय से अवैध लॉटरी के कारोबार से जूझ रहे हैं। यह गैरकानूनी गतिविधि न केवल इन राज्यों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है, बल्कि समाज के ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचा रही है। अवैध लॉटरी, जिसे स्थानीय भाषा में “सट्टा” या “मटका” के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा जुआ है जिसमें लोग छोटी-छोटी राशियों पर दांव लगाते हैं, जीत की उम्मीद में बड़ी रकम हासिल करने के लिए। हालांकि यह गतिविधि कानूनी रूप से प्रतिबंधित है, फिर भी यह दोनों राज्यों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रचलित है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य झारखंड और बंगाल में अवैध लॉटरी के व्यापक प्रभाव, इसके मूल कारणों और इससे होने वाले नुकसान की गहन पड़ताल करना है। साथ ही, इस समस्या से निपटने के लिए संभावित समाधानों पर भी हम खुलासा करने जा रहे हैं।
राजस्व का नुकसान: अवैध लॉटरी से राज्य सरकारों को करोड़ों रुपये के कर राजस्व का नुकसान होता है। यह अर्थव्यवस्था में काले धन के प्रवाह को बढ़ावा देता है, जिससे आर्थिक अस्थिरता पैदा होती है। पिछले पांच सालों से निम्न आय वर्ग के लोग अक्सर इसके शिकार होते आ रहे हैं , जो उन्हें गरीबी के चक्र में और धकेल ता जा रहा है।
सामाजिक प्रभाव: पारिवारिक विघटन: नकली लॉटरी व् जुए की लत से पारिवारिक संबंध टूटते जा रहे हैं और घरेलू हिंसा बढ़ती जा रही है जो दिखाई नहीं देती है इसे लोगों को समझने की जरुरत है । युवाओं में स्कूली बच्चे और युवा इस ओर आकर्षित हो रहे हैं , जो उनके भविष्य को प्रभावित कर रहा है। इसके कारण अपराध में वृद्धि जैसे अवैध लॉटरी अक्सर अन्य अपराधों जैसे चोरी, डकैती और हत्या तक बढ़ावा दे सकती है। योगों में मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पद रहा है। नियमित भागीदारी से लोग जुए के आदी हो चुके हैं , जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता जा रहा है। हार से आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है , जो अवसाद का कारण बन सकता है।
लोगों का मानना है की अवैध लॉटरी के संचालक अक्सर स्थानीय राजनेताओं और पुलिस को रिश्वत देते हैं। जिसके कारण कानून व्यवस्था को चुनौती है। इस गतिविधि से कानून प्रवर्तन एजेंसियों की विश्वसनीयता कम होती जा रही है।
झारखंड के धनबाद जिले और पश्चिम बंगाल के आसनसोल में पुलिस ने समय समय पर अवैध लॉटरी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। दोनों शहरों में एक साथ चलाए गए इस अभियान में कई गिरफ्तारियां हुई हैं और अब अवैध लॉटरी पर पुलिस का शिकंजा बढ़ती जा रही है। बंगाल-झारखंड सीमा पर बड़ी कार्रवाई दिखने लगी है।
झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर अवैध लॉटरी के खिलाफ पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। गिरिडीह पुलिस ने सांवलापुर गांव में छापेमारी कर कामाख्या मंडल और बाबू मंडल नाम के दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। इसके बाद प्रकाश मंडल के घर पर भी छापेमारी की गई। जिसमे पुलिस ने पैन कार्ड, आधार कार्ड, लॉटरी टिकट, नामांकित स्टांप,पेपर कटर अन्य संबंधित सामग्री बरामद की है। पुलिस ने एक विशेष टीम गठित कर इस अभियान को तेज किया है। अधिकारियों का मानना है कि यह रैकेट बंगाल से झारखंड तक फैला हुआ है। कई अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए एक सूची तैयार की गई है।
छापेमारी में मिले साक्ष्यों से पता चला है कि अवैध लॉटरी का यह कारोबार व्यापक स्तर पर चल रहा था। पुलिस ने कहा है कि वे इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं।
इस कार्रवाई से दोनों राज्यों में अवैध लॉटरी के कारोबारियों में हड़कंप मच गया है। पुलिस का दावा है कि वे लगातार ऐसे अपराधियों पर नज़र रख रहे हैं और जल्द ही अन्य स्थानों पर भी कार्रवाई की जाएगी। धनबाद के पुलिस अधिकारीयों का कहना है की , “यह एक बड़ा रैकेट है जो दोनों राज्यों में फैला हुआ है। हम इसकी जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।”, “हमने कई महीनों से इस ऑपरेशन की योजना बना रही थी। यह सिर्फ शुरुआत है।” अधिकारियों ने कहा कि जांच जारी है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। उन्होंने लोगों से अवैध लॉटरी से दूर रहने और इसकी जानकारी पुलिस को देने की अपील की है।
स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है, लेकिन कुछ का कहना है कि यह समस्या जल्द ही फिर से सिर उठा लेगी। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “जब तक लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक यह समस्या बनी रहेगी।”













